रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक तरफ सरकार जमीन रजिस्ट्री के नाम पर फर्जीवाड़े रोकने नए-नए सिस्टम बना रही है तो वहीं दूसरी तरफ जमीन के नाम पर फर्जीवाड़े रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक ऐसा मामला दर्ज हुआ है, कि भू माफियाओं ने मरे हुए लोगों की जगह फर्जी लोगों को खड़े कराकर रजिस्ट्री करा ली। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि भू-माफियाओं ने एक नहीं बल्कि मरे हुए तीन लोगों की जगह पर फर्जी लोगों को खड़ाकर इस कारनामे को अंजाम दिया है।
जानकारी के अनुसार करीब 15 महीने भू-माफियाओं ने इस कारनामे को अंजाम दिया, जिसकी अब एफआईआर हुई है। माना थाने में तीन दिन पहले हुई एफआईआर में प्रशांत शर्मा सहित फर्जीवाड़े में शामिल अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है। पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि 9 लोगों के पॉवर ऑफ अटार्नी के लिए भू माफियाओं ने जो आधार कार्ड इस्तेमाल किया, वे सभी फर्जी थे। सभी आधार कार्ड में फर्जी नंबर ही लिखे हैं।
माना थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार प्रशांत शर्मा ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर जमीन मालिकों के नाम का फर्जी आधार कार्ड बनाकर पॉवर ऑफ अटार्नी ले ली और जमीन को बेच दिया। मार्च 2024 में जमीन की मालिक पुष्पा माखिजा को इस फर्जीवाड़े का पता चला, जिसके बाद शिकायत की।
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जानकारी के अनुसार पुष्पा माखिजा के पति शीतल दास माखिजा ने 1990 में कमल विहार चौक के पास डूमरतराई में 4 एकड़ जमीन खरीदी थी। यह जमीन शीतल दास ने अपने दुकान में काम करने वाले 9 लोगों जयराम पेशवानी, पवन पेशवानी, राजलदास, पवन बघेल, चंदूलाल साहू, दिलीप विभार, जवाहर लाल, शोभराज और अशोक कुमार के नाम पर खरीदी थी। इसमें से 2 एकड़ जमीन 1998 में बेच दी गई थी। बाकी बची दो एकड़ जमीन की जयराम पेशवानी, पवन पेशवानी, राजलदास पेशवानी, पवन बघेल, चंदू लाल साहू और दिलीप विभार ने अपने नाम की जमीन की पॉवर ऑफ अटार्नी पुष्पा माखिजा के नाम अगस्त 2017 में कर दी थी। बाकी बचे तीन लोगों में शोभराज की मौत 2008 में हो गई थी। दो अशोक कुमार और जवाहर लाल में बाद में पॉवर ऑफ अटार्नी करने की बात कही थी। 2023 में अशोक कुमार और 2024 में राजलदास की मौत हो गई।
पुलिस के मुताबिक अशोक कुमार और राजलदास की मौत के बाद आरोपी प्रशांत शर्मा और उसके साथियों ने मिलकर फरवरी 2024 में तीन मृतकों और अन्य लोगों की जगह फर्जी आधार नंबर के जरिए दूसरे लोगों को खड़ाकर 2 एकड़ जमीन को अपने नाम पॉवर ऑफ अटार्नी करा ली। यह पॉवर ऑफ अटार्नी पाटन में कराई गई। इसके बाद उस जमीन को जुलाई 2024 को जमीन को फर्जी तरीके से टाटीबंध के रहने वाले गजानन मेश्राम के नाम पर रजिस्ट्री करा दी।