अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 171 बोइंग 787-8 ड्रीम लाइनर के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना रोंगटे खड़े कर देने वाली है। इस विमान ने बृहस्पतिवार को दोपहर डेढ़ बजे के आसपास उड़ान भरी ही थी कि कुछ पलों के भीतर ही यह अहमदाबाद के एक रिहायशी इलाके में स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज यूजी हॉस्टल की इमारत से जा टकराया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह हादसा कितना भीषण रहा होगा, जिसमें यात्रियों और क्रू मेंबर के साथ ही मेडिकल हॉस्टल के कुछ छात्रों और आसपास के इलाकों के कुछ नागरिकों की मौत की खबर है। आधिकारिक रूप से आंकड़ों की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन इस हादसे से न जाने कितने परिवार गमगीन हो गए। बेशक, जांच से इस हादसे की वजहें सामने आएंगी, लेकिन उड़ान भरने के तुरंत बाद यह विमान जिस तरह रिहायशी इलाके में जा टकराया, उससे हमारे देश में नागरिक उड्डयन और नगर नियोजन को लेकर कुछ सवाल तो उठते ही हैं। अव्वल तो यही बुनियादी सवाल है कि उड़ान भरने से पहले क्या जरूरी प्रोटोकाल पूरे किए गए थे। यह भी कहा जा रहा है कि इस हादसे की वजह यह भी हो सकती है कि कोई पक्षी विमान से टकरा गया हो। ऐसे हादसे होते हैं और इस मामले में अभी यह साफ नहीं है, फिर भी देश के हवाई अड्डों के नजदीक जिस तरह से रिहायशी और व्यावसायिक निर्माण हुए हैं और हो रहे हैं, उसे देखते हुए लगता है कि इस बारे में ठीक से विचार किए जाने की जरूरत है। असल में ऐसी जगहों पर कूड़ों के ढेर जमा होने के साथ ही वहां पक्षियों की मौजूदगी की आशंका भी होती है। आखिर इस हादसे की कोई तो वजह होगी ही और इसके मानवीय और तकनीकी त्रुटि से जुड़े होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। यहां एक और बात दर्ज किए जाने की जरूरत है कि एयर लाइंस को टाटा के हाथों बेचे जाने और हवाई अड्डों के रखरखाव की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को सौंपे जाने के बाद से नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सरकार की भूमिका बहुत सीमित हो गई है। इसके बावजूद सरकार ऐसे हादसों से अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। जाहिर है, जांच के साथ ही इस हादसे में जवाबदेही सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।

