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देश

चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के आरोपों के बचाव में कूदी बीजेपी

आवेश तिवारी
आवेश तिवारी
Published: June 9, 2025 5:27 PM
Last updated: June 9, 2025 11:53 PM
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नई दिल्ली। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर के अलग-अलग समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ट पर हंगामा अभी थमा नहीं है।

खबर में खास
चुनाव आयोग का तर्क, भूपेंद्र-देवेंद्र का लेखमतदाता सूची पर भूपेंद्र खामोशसीईसी की नियुक्ति में सीजेआई को बाहर करने का तर्कतब आप कहां थेअप्रत्याशित परिणाम पर कमजोर तर्ककहां है वीडियोग्राफी, भूपेंद्र खामोशशाम पांच बजे के बाद की वोटिंग की लोकसभा से तुलनापोलिंग एजेंटों पर फोड़ा ठीकरा

एक तरफ चुनाव आयोग ने पहले एक अहस्ताक्षरित पत्र के माध्यम से राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों पर अपना जवाब दिया, तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं ने पहले सोशल मीडिया पर और अब अखबारों में लेख लिखकर राहुल गांधी और उनके दावों पर हमला बोला है।

इस बीच खबर मिल रही है कि चुनाव आयोग ने राहुल गांधी द्वारा मतदाता सूची जारी करने की उनकी मांग को स्वीकार कर लिया है, जिस पर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को धन्यवाद दिया है।

चुनाव आयोग का तर्क, भूपेंद्र-देवेंद्र का लेख

सोमवार को पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लेख अलग-अलग अखबारों में प्रकाशित हुए। भूपेंद्र यादव ने राहुल गांधी के तमाम आरोपों का जवाब देने की कोशिश की है, लेकिन वह कई जगह चुनाव आयोग का पक्ष रखने की कोशिश करते दिखते हैं, साथ ही सरकार के अधिकार की बात भी करते हैं। यह सोचने वाली बात है कि मतदाता सूची निर्माण से लेकर समूची चुनावी प्रक्रिया पर कोई जवाब देना होगा, तो चुनाव आयोग देगा, उसे सत्तापक्ष का कोई मंत्री कैसे दे सकता है?

Rejected by people, now he rejects people’s mandate @IndianExpresshttps://t.co/PpsuX7lCbb

जनतेने ज्यांना नाकारले, ते जनादेशाला नाकारतात !@LoksattaLivehttps://t.co/JSDeGr3LjI

जनता त्यांना नाकारते, ते जनादेशाला नाकारतात ! @lokmat https://t.co/TEPSGxvzb8 https://t.co/mj9sXLtmo9 pic.twitter.com/Lq85A933Ak

— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) June 8, 2025

मतदाता सूची पर भूपेंद्र खामोश

राहुल गांधी ने अपने आरोपों में मतदाता सूची में वोटरों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में 5 महीनों में 41 लाख नए मतदाता कैसे जुड़ गए, जबकि 5 साल में सिर्फ 31 लाख नए मतदाता थे? इसका जवाब भूपेंद्र यादव इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अपने लेख में कहीं देते नहीं दिखते। वह अपने लेख में कई जगह कहते दिखे हैं कि राहुल गांधी ने अपने बूथ कार्यकर्ताओं से नहीं पूछा होगा। अलबत्ता, निष्पक्ष वोटिंग हो, यह जिम्मेदारी बूथ कार्यकर्ताओं की नहीं, चुनाव आयोग की है।

What Rahul Gandhi doesn’t get about elections is that they are won by listening to voters, not one's coterie.

The LoP's fantasy of being the 'heir apparent' to India's Prime Ministerial chair has led him to believe that it’s the national duty of institutions, people and… pic.twitter.com/tpPKUi9V4q

— Bhupender Yadav (@byadavbjp) June 9, 2025

सीईसी की नियुक्ति में सीजेआई को बाहर करने का तर्क

राहुल गांधी द्वारा त्रिसदस्यीय समिति में मुख्य न्यायाधीश की जगह कैबिनेट मंत्री को रखने के फैसले पर भूपेंद्र यादव कहते हैं कि संसदीय शक्तियों का थोड़ा ज्ञान विपक्ष के नेता के लिए उपयोगी हो सकता था। संसद को मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए नियम बनाने का अधिकार है। वह कहते हैं कि समिति में अस्थायी प्रावधान के रूप में सीजेआई को सदस्य बनाया गया था, जब तक कि नियम नहीं बन जाता। नए कानूनों के तहत, कानून मंत्री और वरिष्ठ नौकरशाहों की अध्यक्षता वाली एक समिति एक शॉर्टलिस्ट को अंतिम रूप देती है, जिस पर पीएम, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री (इस मामले में गृह मंत्री) वाली समिति चर्चा करती है। भूपेंद्र आरोप लगाते हैं कि यूपीए सरकार द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में विपक्ष से सलाह तक नहीं ली गई। नई प्रक्रिया के तहत, विपक्ष के नेता से विधिवत सलाह ली जाती है और उनकी प्रतिक्रिया दर्ज की जाती है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा सीईसी की नियुक्ति को लेकर बनाए गए नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं।

तब आप कहां थे

भूपेंद्र यादव कहते हैं कि चुनाव आयोग ने 23 अप्रैल, 2025 को स्पष्ट किया था कि नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत पारदर्शी तरीके से तैयार की गई थी। कुल मतदाता 9.78 करोड़ थे, और सूची तैयार करने के दौरान प्राप्त 3,901 दावों और आपत्तियों में से केवल 89 अपीलें दायर की गईं, जिनमें से केवल एक मुख्य चुनाव अधिकारी के पास पहुंची, जो न्यूनतम विरोध को दर्शाता है।

भूपेंद्र कहते हैं कि कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों को सूचियों तक पहुंच थी। कांग्रेस द्वारा नियुक्त 27,099 सहित 97,000 बूथ-स्तरीय अधिकारियों और 1.03 लाख बूथ-स्तरीय एजेंटों ने इस प्रक्रिया की निगरानी की। तब कोई आपत्ति क्यों नहीं उठाई गई? अगर भूपेंद्र यादव की बात को मान भी लें कि आपत्ति उस वक्त नहीं उठाई गई, तो इससे सूची के पवित्र होने का सर्टिफिकेट कैसे मिल जाता है?

अप्रत्याशित परिणाम पर कमजोर तर्क

“कुछ बूथों” पर असामान्य मतदान को लेकर भूपेंद्र यादव के तर्क हैं कि जिन सीटों पर मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई, उनमें से तीन-चार सीटें विपक्ष ने रिकॉर्डतोड़ मतों से जीती हैं। लेकिन राहुल गांधी कहते हैं कि भाजपा गठबंधन ने ऐसी 85 सीटों पर जीत दर्ज की है, तो यह तुलना कैसे समीचीन होगी?

कहां है वीडियोग्राफी, भूपेंद्र खामोश

शाम पांच बजे के बाद की वोटिंग की वीडियोग्राफी विपक्ष बार-बार मांग रहा है और चुनाव आयोग इससे इनकार कर रहा है। इस पर भूपेंद्र यादव भी खामोश हैं। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा कहते हैं कि 85 निर्वाचन क्षेत्रों में 12,000 बूथों पर मतदाताओं की लक्षित वृद्धि का क्या कारण है, जहां भाजपा ने लोकसभा में खराब प्रदर्शन किया, लेकिन विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की? तो यह सवाल लोकसभा में भाजपा के खराब प्रदर्शन से जुड़ा भी है। क्या इतना बड़ा उलटफेर इतनी जल्दी संभव है?

शाम पांच बजे के बाद की वोटिंग की लोकसभा से तुलना

भूपेंद्र यादव का दावा है कि शाम 5 बजे 58.22 प्रतिशत से अंतिम टैली में 66.05 प्रतिशत तक की वृद्धि सामान्य मतदान प्रवृत्ति के भीतर है। हालांकि, विपक्ष के नेता ने इस 7.83 प्रतिशत अंकों की वृद्धि को अभूतपूर्व बताया है। भूपेंद्र कहते हैं कि वास्तव में, 7.83 प्रतिशत अंकों का समायोजन 2024 के लोकसभा चरण-वार डेटा में प्रतिबिंबित होता है, जहां शाम 5 बजे के बाद की वृद्धि औसतन 8.5 प्रतिशत अंक है। तो सवाल खड़ा होता है कि क्या लोकसभा के वोटिंग पैटर्न की विधानसभा से तुलना की जा सकती है?

पोलिंग एजेंटों पर फोड़ा ठीकरा

भूपेंद्र यादव का दावा है कि ईसीआई ने गणना की कि प्रति घंटे 58 लाख वोटों की औसत मतदान दर के साथ, अंतिम दो घंटों में 1.16 करोड़ वोट डाले जा सकते थे, लेकिन केवल 65 लाख वोट दर्ज किए गए। जबकि राहुल इसे अप्रत्याशित बताते हैं। भूपेंद्र यादव चुनाव आयोग के तर्क को दोहराते हैं कि आपके पोलिंग एजेंटों ने किसी असामान्य वोटिंग की बात क्यों नहीं की? आपत्ति क्यों नहीं दर्ज कराई?

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