नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर फिर बड़ा बयान दिया है। पुणे में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत ने 48 घंटे की लड़ाई 8 घंटे में ही पूरी कर ली, जिसके बाद पाकिस्तान ने बातचीत का प्रस्ताव रखा। सीडीएस चौहान ने यह बात पुणे विश्वविद्यालय में “भविष्य के युद्ध और युद्धकला” विषय पर अपने संबोधन में कही।
सीडीएस चौहान ने बताया कि हाल ही में पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमले की कोशिश नाकाम की गई। भारतीय वायुसेना ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इन ड्रोन्स को नष्ट कर दिया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की हरकतें अब बर्दाश्त से बाहर हैं। हमारी सेना हर चुनौती के लिए तैयार है।” उन्होंने कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।
इससे पहले सीडीएस चौहान ने सिंगापुर में ब्लूमबर्ग टीवी को दिए गए एक इंटरव्यू में बताया था कि भारत-पाक की हालिया जंग के दौरान रणनीतिक गलती हुई थी। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि जेट गिरा, महत्वपूर्ण यह है कि पाकिस्तान ने जेट क्यों गिराया?
चौहान ने कहा था, “अच्छी बात यह है कि हम अपनी सामरिक गलती को समझ पाए, उसका समाधान किया, उसे सुधारा और फिर दो दिन बाद उसे फिर से लागू किया तथा लंबी दूरी पर निशाना साधते हुए अपने सभी जेट विमानों को फिर से उड़ाया।” उन्होंने यह भी कहा कि चार दिन के युद्ध में परमाणु युद्ध की नौबत कभी नहीं आई।
पाकिस्तान की ‘हजार घाव’ वाली रणनीति
जनरल चौहान ने पुणे में कहा कि पाकिस्तान भारत को ‘हजार घाव’ देने की नीति पर चल रहा है। उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हालिया भड़काऊ बयानों का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने भारत के खिलाफ जहर उगला था। पहलगाम हमला जनरल मुनीर के उस बयान के ठीक एक सप्ताह बाद हुआ, जिसमें उन्होंने कश्मीर को इस्लामाबाद की ‘जीवन रेखा’ करार दिया था। भारत ने इस बयान की कड़े शब्दों में निंदा की थी।
‘परिणाम मायने रखते हैं, नुकसान नहीं’
जनरल चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि युद्ध और युद्धकला मानव इतिहास का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने बताया, ‘युद्ध में हिंसा, उसका राजनीतिक मकसद और संचार तीन अहम तत्व हैं।’ उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को युद्ध और राजनीति का समन्वय बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि युद्ध में नुकसान से ज्यादा परिणाम महत्वपूर्ण होते हैं।
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