नई दिल्ली। भारत, यूक्रेन के सबसे बड़े रक्षा सामग्री आपूर्तिकर्ता जर्मन कंपनी राइनमेटल के लिए गोला-बारूद का उत्पादन बढ़ाने जा रहा है। सितंबर 2024 में यह खबर तेजी से यूरोप की मीडिया में चर्चा में आई थी कि भारत द्वारा यूक्रेन को बड़े पैमाने पर हथियारों की सप्लाई की गई है।
उस वक्त कहा गया कि भारत में बने गोला-बारूद की सप्लाई यूरोपीय चैनलों के माध्यम से की गई। इस खबर पर रूस ने भी अनौपचारिक ढंग से आपत्ति दर्ज कराई थी। इस सप्लाई के तहत 155-मिमी के गोले बेचे गए थे। रक्षा विशेषज्ञों की राय में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि भारतीय सेना के पास 155-मिमी सहित विभिन्न कैलिबर की 10,000 तोपें हैं।
रूस की नाराजगी का अंदेशा
जर्मन थिंक टैंक हार्टपंटर के अनुसार, अब भारत यूरोप के साथ गोला-बारूद की आपूर्ति के क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाना चाहता है, खास तौर पर जर्मन कंपनी के साथ समझौता करके। निस्संदेह यह सौदा रूस को पसंद नहीं आएगा। नहीं भूलना चाहिए कि पहलगाम हमले के बाद रूस की खामोशी को भारत में विदेश नीति की चूक से जोड़कर देखा जा रहा है।
हथियार निर्माता राइनमेटल और भारतीय रक्षा कंपनी रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने कई तरह के सहयोग पर सहमति जताई है, जिसमें मध्यम और बड़े कैलिबर के गोले बनाने के लिए आवश्यक भारतीय विस्फोटक और बारूद की आपूर्ति शामिल है। दोनों कंपनियों ने एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार भारत की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड राइनमेटल को उक्त सामग्री उपलब्ध कराएगी। इससे यूरोप और यूक्रेन को गोले-बारूद की आपूर्ति में सुधार हो सकता है।
वाटाड औद्योगिक क्षेत्र में बनेगा नया संयंत्र
जानकारी मिली है कि रिलायंस डिफेंस, राइनमेटल के साथ साझेदारी में महाराष्ट्र के वाटाड औद्योगिक क्षेत्र में एक नया संयंत्र बनाएगा। इस संयंत्र की वार्षिक उत्पादन क्षमता 200,000 गोले, 10,000 टन विस्फोटक और 2,000 टन अन्य सामग्री होगी, जिसका उपयोग युद्ध सामग्री उद्योग में किया जाता है। चालू होने के बाद यह संयंत्र दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में सबसे बड़ा संयंत्र होगा।
भारतीय सेना को भी होगा लाभ
यह ध्यान देने योग्य है कि इस सहयोग से राइनमेटल के लिए मुख्य लाभ गोला-बारूद उत्पादन के लिए कच्चे माल तक पहुंच और बेहतर आपूर्ति श्रृंखला का उपलब्ध होना है, जबकि रिलायंस डिफेंस के लिए यह भारतीय सेना के लिए घरेलू गोला-बारूद उत्पादन करना है।
पश्चिमी देशों के पास विस्फोटकों की भारी कमी
अमेरिका में 155-मिमी के गोले पोलिश टीएनटी से बनाए जाते हैं। कच्चे माल की कमी वहां एक बड़ा मुद्दा है। गोला-बारूद उत्पादन के लिए संसाधनों की कमी कई पश्चिमी देशों के लिए एक गंभीर मुद्दा बनी हुई है। अमेरिकी शेल निर्माताओं ने विस्फोटकों की वैश्विक कमी की ओर इशारा किया है, जबकि रूस के पास इसकी कोई कमी नहीं है।
राइनमेटल जाहिर तौर पर इन्हीं वजहों से भारत के साथ सहयोग करने के लिए आया, जो एक तरफ अभी भी रूस से हथियारों का एक प्रमुख खरीदार है। उसी समय, भारत ने यूक्रेनी सेना को घरेलू रूप से उत्पादित गोले की डिलीवरी को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
भारत में बनेगी सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड परियोजना
राइनमेटल एजी के सीईओ आर्मिन पैपरगर ने कहा, “अनिल अंबानी के रिलायंस समूह के नेतृत्व में राइनमेटल और रिलायंस डिफेंस के बीच यह रणनीतिक साझेदारी प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत नेतृत्व में भारत के साथ साझेदारी के लिए हमारी ठोस प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।”
बयान के अनुसार, रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने हाल ही में धीरूभाई अंबानी डिफेंस सिटी के हिस्से के रूप में विस्फोटक, गोला-बारूद और छोटे हथियारों के उत्पादन के लिए एक एकीकृत परियोजना स्थापित करने की योजना की घोषणा की है। राइनमेटल के अनुसार, धीरूभाई अंबानी डिफेंस सिटी महाराष्ट्र के रत्नागिरी में वाटाड औद्योगिक एस्टेट में बनाई जा रही है और पूरा होने पर यह भारत में किसी निजी कंपनी द्वारा विकसित रक्षा क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड परियोजना होगी।