रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल लेवी घोटाले में जेल में बंद सौम्या चौरसिया, आईएएस रानू साहू और समीर बिश्नोई आखिरकार जेल से बाहर आ गए हैं। शुक्रवार की रात तक ये बाहर आ जाएंगे। इन तीनों अफसरों सहित 6 लोगों को इन मामलों में जमानत मिल गई है। ये तीनों अफसर भूपेश बघेल की सरकार के समय से ही जेल में थे। तीनों अफसरों के अलावा रजनीकांत तिवारी, संदीप नायक और वीरेंद्र जायसवाल को भी जमानत मिली है।

पहले इन सभी 6 आरोपियों को शुक्रवार की रात जेल से रिहा होना था, लेकिन कुछ दस्तावेजी कार्रवाई पूरी नहीं होने की वजह से जेल प्रशासन ने रिहा करने से मना कर दिया। अब शनिवार सुबह सभी को जेल से रिहा किया जाएगा। जानकारी के अनुसार जेल में जमानत के दस्तावेज 7 बजे से पहले पेश किए जाने थे, लेकिन किन्हीं कारणों से इसमें देरी हो गई और सवा 7 बजे दस्तावेज जेल प्रशासन को मिले।
बता दें कि कोल लेवी घोटाले और डीएमएफ घोटाले में ईडी और ईओडब्ल्यू के केस में सभी को जमानत मिली है। डीएमएफ में दो दिन पहले ही ईओडब्ल्यू ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी।
पहले इन सभी के शुक्रवार रात को जेल से बाहर आने की उम्मीद थी, लेकिन कुछ कागजी कार्रवाई पूरी नहीं होने की वजह से शनिवार सुबह ये लोग जेल से बाहर निकल पाएंगे। हालांकि शुक्रवार रात में ही सभी कार्रवाई पूरी करने की कोशिश में इन सभी की लीगल टीम लगी हुई है।
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तीनों अफसरों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोल लेवी घोटाले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद जब प्रदेश में सरकार बदली तो ईओडब्ल्यू ने मामले में जांच शुरू की। कोल लेवी के अलावा डीएमएफ और अन्य कई घोटालों की जांच में इन अफसरों को गिरफ्तार किया गया। करीब दो साल से भी ज्यादा समय से जेल में रहने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों में एक साथ जमानत दी है। डीएमएफ मामले में अंतरिम जमानत मिली है।
भूपेश बघेल सरकार में ताकतवार अफसर माने जाने वाले समीर बिश्नोई को 13 अक्टूबर 2022 को ईडी ने गिरफ्तार किया था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव रहीं सौम्या चौरसिया 2 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार हुईं थीं। वहीं, कोरबा और रायगढ़ कलेक्टर रहीं रानू साहू को 22 जुलाई 2023 को गिरफ्तार किया गया था। तीनों को ईडी ने ही गिरफ्तार किया था।
राज्य से बाहर रहने की शर्त पर जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने 6 लोगों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को प्रदेश से बाहर रहने की शर्त पर जमानत दी गई है। कोर्ट ने यह आशंका जताई है कि यदि आरोपी प्रदेश में रहते हैं तो वो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकार दत्ता की डबल बेंच ने इस जमानत याचिका पर सुनवाई की है। लेकिन अन्य मामलों में आरोपी होने के चलते इन्हें जेल में रहना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को कड़ी शर्तों के साथ जमानत दी है। आरोपियों को अपनी रिहाई के 1 सप्ताह के भीतर राज्य के बाहर अपने रहने के पते को पेश करना होगा। उन्हें अपने रहने के स्थान की जानकारी भी अधिकार क्षेत्र के थाने में देना होगा। अपने पासपोर्ट को विशेष अदालतों जमा करना होगा। इसके साथ ही यह निर्देश दिए गए हैं कि वे अगले आदेश तक छत्तीसगढ़ राज्य में नहीं रहेंगे। वे आवश्यकतानुसार जांच एजेंसी या ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना होगा। आरोपियों को जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग करना होगा।
ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली
छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से की गई जांच से पता चला है कि निजी व्यक्तियों का एक समूह, राज्य के वरिष्ठ राजनेताओं और नौकरशाहों के साथ मिलीभगत करके कोयला ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली में लगा हुआ था। वहीं, डीएमएफ के केस में आरोपियों ने अपने प्रायोजित प्रोपराइटर विक्रेता के माध्यम से आपराधिक साजिश रचकर कोरबा जिले में डीएमएफ फंड के तहत टेंडरिंग में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताएं कीं और अपने लिए अनुचित लाभ प्राप्त किया।