द लेंस डेस्क। हरियाणा के पंचकूला के सेक्टर-27 में एक दुखद और हृदय विदारक घटना ( FAMILY SUICIDE )ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। उत्तराखंड के देहरादून का सात सदस्य परिवार ने सोमवार देर रात एक कार में जहर खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली। इस घटना ने 2018 के दिल्ली बुराड़ी कांड की भयावह यादें ताजा कर दीं जहां एक परिवार के 11 लोगों ने आत्महत्या की थी। पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया है जिसमें कर्ज और आर्थिक तंगी को इस आत्मघाती कदम का कारण बताया गया है।
एक कार में खत्म हुआ पूरा परिवार
सोमवार, 26 मई 2025 की रात करीब 11 बजे, स्थानीय निवासियों ने सेक्टर-27 में मकान नंबर 1204 के सामने खड़ी एक हुंडई ऑरा कार में कुछ असामान्य गतिविधियां देखीं। सूचना पर पहुंची पुलिस ने कार में सात लोगों को बेहोशी की हालत में पाया। कार का नंबर देहरादून (उत्तराखंड) का था। सभी को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया जहां छह लोगों को सेक्टर-26 के ओजस अस्पताल में और एक को सेक्टर-6 के सिविल अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। मृतकों में प्रवीण मित्तल (42) उनकी पत्नी रीना मित्तल, उनके तीन बच्चे हिमशिखा (जुड़वां बेटी), दलिशा (11), हार्दिक (14) और प्रवीण के बुजुर्ग माता-पिता, देशराज मित्तल और विमला मित्तल शामिल हैं।
पुलिस ने कार से बच्चों के स्कूल बैग खाने-पीने का सामान और एक दो पन्नों का सुसाइड नोट बरामद किया। नोट में प्रवीण ने लिखा, “मैं बैंक से दिवालिया हो चुका हूं। मेरी वजह से ही ये सब कुछ हुआ है। मेरे ससुर को कुछ मत कहना। अंतिम संस्कार सहित सभी रस्में मेरे मामा का बेटा निभाएगा।” फोरेंसिक जांच में कार के अंदर दवाइयों का एक टैबलेट और उल्टियों के निशान मिले जो जहरीले पदार्थ के सेवन की ओर इशारा करते हैं। सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और मृत्यु के सटीक कारणों की जांच चल रही है।
कर्ज और तंगी
जांच में सामने आया कि प्रवीण मित्तल ने देहरादून में टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय शुरू किया था जिसमें भारी निवेश के बावजूद उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। परिवार पर 15-20 करोड़ रुपये का कर्ज था जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी। प्रवीण के ससुर राकेश ने बताया कि परिवार कुछ महीने पहले पंचकूला के सकेतरी में किराए के मकान में शिफ्ट हुआ था। एक रिश्तेदार ने बताया कि परिवार ने फ्लैट, कार और बड्डी की फैक्ट्री सहित सारी संपत्ति खो दी थी। पड़ोसी आराधना थापा के अनुसार परिवार साधारण जीवन जीता था लेकिन प्रवीण की मां की बीमारी और व्यवसाय में घाटे ने उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से तोड़ दिया।
दुखद अंत
परिवार पंचकूला में बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री की हनुमंत कथा में शामिल होने आया था। कथा समाप्त होने के बाद देहरादून लौटते समय उन्होंने सेक्टर-27 में कार रोककर यह आत्मघाती कदम उठाया। चश्मदीद पुनीत राना ने बताया कि कार के पास एक टॉवल पड़ा था और जब उन्होंने प्रवीण से पूछा, तो उन्होंने कांपते हुए कहा, “हमने जहर खा लिया है, बहुत कर्ज था।” पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची लेकिन एंबुलेंस में 40-45 मिनट की देरी के कारण प्रवीण को बचाने का मौका नहीं मिला।
पुलिस की कार्रवाई
पंचकूला डीसीपी हिमाद्री कौशिक और डीसीपी (लॉ एंड ऑर्डर) अमित दहिया ने घटनास्थल का दौरा किया। डीसीपी ने बताया “प्रथमदृष्टया यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। गहन जांच की जा रही है।” फोरेंसिक टीम ने साक्ष्य एकत्र किए और पुलिस सुसाइड नोट में उल्लिखित व्यक्तियों से पूछताछ कर रही है। कुछ स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर बागेश्वर धाम के आयोजन को लेकर सवाल उठे, लेकिन पुलिस ने स्पष्ट किया कि आत्महत्या का कथा से कोई सीधा संबंध नहीं है।
मानवता पर सवाल
यह घटना केवल एक समाचार नहीं, बल्कि आर्थिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य संकट की गहरी त्रासदी है। प्रवीण का परिवार जिसमें मासूम बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता शामिल थे, कर्ज के बोझ तले टूट गया। बच्चों के स्कूल बैग और खाने-पीने की वस्तुएं कार में मिलीं जो उनके सामान्य जीवन की कहानी कहती हैं। यह सोचकर दिल दहल जाता है कि तीन पीढ़ियों का एक परिवार एक साथ खत्म हो गया।
बुराड़ी कांड से समानता
यह घटना 2018 के दिल्ली बुराड़ी कांड की याद दिलाती है जहां एक परिवार के 11 लोगों ने सामूहिक आत्महत्या की थी। हालांकि बुराड़ी मामले में धार्मिक मान्यताएं और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे प्रमुख थे, पंचकूला मामले में आर्थिक संकट मुख्य कारण रहा। दोनों घटनाएं सामूहिक निर्णय और पारिवारिक तनाव की भयावहता को दर्शाती हैं।