हरियाणा के पंचकुला में एक परिवार के सात लोगों के आत्महत्या कर लेने की रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सिर्फ एक परिवार का बेहद हताशा और बेबसी में उठाया गया कदम नहीं है, बल्कि इसने तीन दिन पहले दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बने देश की विरोधाभासों से अटी पड़ी सामाजिक-आर्थिक सच्चाई को भी सामने ला दिया है। बताया जाता है कि कारोबार में नाकाम रहा परिवार का युवा मुखिया प्रवीण मित्तल करोड़ों रुपये के कर्ज में डूबा हुआ था और उसने अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों के साथ इससे उबरने के लिए ऐसा रास्ता चुना, जिससे पूरा परिवार खत्म हो गया। यह भी पता चला है कि इस घटना से पहले परिवार ने बाबा बागेश्वर धाम यानी धीरेंद्र शास्त्री की कथा में हिस्सा लिया था! शायद परिवार को या उसके मुखिया को भरोसा रहा होगा कि बाबा कोई चमत्कार कर देंगे! दरअसल इस घटना ने देश के मौजूदा हालात को भी सामने ला दिया है, जहां कर्ज में डूबे परिवार को सरकार से नहीं, शायद एक बाबा से अपेक्षा थी कि वह उन्हें संकट से उबार देगा। कर्ज या आर्थिक हताशा में आत्महत्या कर लेने की यह पहली घटना नहीं है। एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि 2022 में देश में 13 हजार लोगों ने आर्थिक समस्याओं के चलते आत्महत्या कर ली। ऐसे में यह सवाल और भी जरूरी हो जाता है कि आखिर यह कैसी तरक्की है कि, जहां कर्ज और मायूसी में डूबे एक परिवार को कोई रास्ता दिखाने वाला नहीं था।
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