नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सरकार द्वारा भेजे गये सर्वदलीय प्रतिंधिमंडल के सदस्य के तौर पर अमेरिका में कहा, ‘मैं सरकार के लिए काम नहीं करता, मैं विपक्ष का सांसद हूं। मैंने खुद कहा था कि अब समय आ गया है कि भारत सख्ती से और समझदारी से जवाब दे. मुझे खुशी है कि भारत ने ऐसा ही किया।’
थरूर ने कहा, ‘भारत ने बहुत ही सटीक और सीमित जवाब दिया हमारे टार्गेट पूर्व निर्धारित थे निश्चित तौर पर हम यह संदेश देने में सफल रहे कि हम चुप नहीं बैठेंगे, लेकिन यह जवाब किसी लंबी जंग की शुरुआत नहीं बल्कि एक निर्णायक कार्रवाई है, और हम यहीं रुक सकते हैं।’
अपनी बातचीत के दौरान उन्होंने वैश्विक सहिष्णुता को लेकर याद दिलाया कि 2 जनवरी 2016 को पठानकोट हादसे के ठीक पहले पीएम मोदी पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने नवाज शरीफ के परिवार के विवाह में भी शिरकत की। गजब यह था कि उन्होंने पठानकोट हादसे की जांच के लिए खुद पाक प्रधानमंत्री को फोन किया और जांच में शामिल होने का न्यौता दिया। शशि कहते हैं कि आप सोच सकते हैं कि उनके इस निर्णय से भारतीय मिलिट्री इस्तेब्लिशमेंट का क्या हाल हुआ होगा?
शशि थरूर का कहना था कि यह देखना चाहिये कि कैसे भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों और मुख्यालयों पर संयमित और संतुलित तरीके से जवाब दिया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। उन्होंने दुनिया से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। भारतीय वाणिज्य दूतावास में अपने संबोधन में श्री थरूर ने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का 9/11 स्मारक का दौरा उनकी यात्रा का पहला पड़ाव था।
आतंकवाद को बताया साझा समस्या
शशि थरूर ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ‘यह हमारे लिए बहुत भावुक क्षण था, लेकिन इसका उद्देश्य एक बहुत मजबूत संदेश देना भी था कि हम एक ऐसे शहर में हैं जो अपने देश में हुए एक और आतंकवादी हमले के निशान अभी भी झेल रहा है।‘ थरूर ने कहा, ‘हम यह याद दिलाने के लिए यहां आए हैं कि यह एक साझा समस्या है। यह एक वैश्विक समस्या है। यह एक अभिशाप है और हम सभी को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना होगा।‘
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सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के उद्देश्य के बारे में बोलते हुए थरूर ने कहा, ‘हम उन सभी देशों में जनता और राजनीतिक विचारों के विभिन्न वर्गों से बात करेंगे । हाल की घटनाओं के बारे में, जिनसे स्पष्ट रूप से दुनिया भर में बहुत से लोग परेशान हैं महत्वपूर्ण है कि हम जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में हमारी सोच और हमारी चिंता के बारे में आपकी समझ को बढ़ाने का प्रयास करें। इसलिए यह हमारे लिए एक अवसर है कि हम प्रत्येक देश में जाएंगे, कार्यपालिका के सदस्यों से मिलेंगे, विधायिका के सदस्यों से मिलेंगे, प्रभावशाली विदेश नीति विशेषज्ञों से मिलेंगे, और साथ ही इन सभी स्थानों पर मीडिया और जनता के साथ बातचीत करेंगे।‘
धर्म पूछकर हुई हत्या
पहलगाम में हुए नृशंस आतंकवादी हमले का वर्णन करते हुए थरूर ने कहा, ‘कुछ लोग अपने सामने आए लोगों के धर्म की पहचान कर रहे थे और उसी के आधार पर उनकी हत्या कर रहे थे, जिसका स्पष्ट उद्देश्य शेष भारत में दंगे भड़काना था, क्योंकि पीड़ित अधिकतर हिंदू थे।‘ उन्होंने घटना के बाद की सामाजिक एकता कई उदाहरण दिए कि कैसे जम्मू-कश्मीर में राजनेताओं से लेकर आम लोगों तक ने एकजुटता दिखाई। ‘धार्मिक और अन्य मतभेदों को दरकिनार करते हुए असाधारण एकजुटता देखने को मिली, जिसे लोगों ने भड़काने की कोशिश की।‘
पाकिस्तान ने चीन के सहयोग से टीआरएफ का संदर्भ यूएन से हटाया
थरूर ने कहा, ‘पहलगाम हादसे के एक घंटे के भीतर, रेजिस्टेंस फ्रंट नामक एक समूह ने इसका श्रेय लिया। रेजिस्टेंस फ्रंट को कुछ वर्षों से प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन माना जाता था, जिसे अमेरिका ने आतंकवादी घोषित किया है, साथ ही संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समितियों ने भी। और भारत 2023 और 2024 में रेजिस्टेंस फ्रंट के बारे में जानकारी के साथ संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के पास गया था और अब दुख की बात है कि उसने 2025 में कार्रवाई की और अगले दिन उन्होंने अपना दावा दोहराया। दुख की बात है कि पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इनकार का रास्ता चुना, वास्तव में, चीन की मदद से पाकिस्तान दो दिन बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तैयार किए गए प्रेस वक्तव्य से टीआरएफ का संदर्भ हटाने में सफल रहा।‘
आतंकवाद नहीं होगा बर्दाश्त शशि थरूर ने इस बात को रेखांकित किया कि ‘भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। वह जवाब देगा, लेकिन साथ ही बहुत ही सटीक, नपे-तुले हमलों को बहुत ही विशिष्ट लक्ष्यों पर करके। हम यह भी संदेश दे रहें हैं कि यह किसी लंबे युद्ध की शुरूआत नहीं है, बल्कि यह केवल प्रतिशोध की कार्रवाई है, और हम इस कार्रवाई को रोकने के लिए तैयार हैं।’ श्री थरूर के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शांभवी चौधरी (लोक जनशक्ति पार्टी), सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जीएम हरीश बलयागी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी, तेजस्वी सूर्या, भुवनेश्वर के लता (सभी भाजपा से), मल्लिकार्जुन देवदा (शिवसेना) और अमेरिका में पूर्व भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू शामिल हैं।