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Home » जानिए देश में एफडीआई का ताजा हाल,  96.5 फीसदी गिरावट की क्‍या है वजह

देश

जानिए देश में एफडीआई का ताजा हाल,  96.5 फीसदी गिरावट की क्‍या है वजह

Lens News Network
Last updated: May 24, 2025 7:01 pm
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FDI in India
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नई दिल्ली। (FDI in India) भारत में वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में रिकॉर्ड 96.5 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस वित्त वर्ष में शुद्ध एफडीआई प्रवाह केवल 353 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष के 10 अरब डॉलर की तुलना में कम है। यह आंकड़ा पिछले दशक में एफडीआई में सबसे बड़ी गिरावट को दर्शाता है। यह तब है जब मोदी सरकार निवेश-अनुकूल नीतियों के दावे पर दावे करती रही है।

खबर में खास
एफडीआई में कमी की वजह क्या है?क्‍या कहते हैं आरबीआई के आंकड़े

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में वाशिंगटन में एक कार्यक्रम में कहा था, “निवेशकों को भारत में निवेश से किसने रोका है?” सरकार का दावा है कि भारत का विशाल बाजार, राजनीतिक स्थिरता, और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में सुधार निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।

एफडीआई में कमी की वजह क्या है?

आरबीआई और अन्य विशेषज्ञों की रिपोर्ट्स के मुताबिक, एफडीआई में गिरावट की कई वजहें हैं। पहली, विदेशी निवेशकों द्वारा भारत से बड़े पैमाने पर पूंजी वापसी प्रमुख कारण रही है। वित्‍तीय साल 20225 में 49 अरब डॉलर की पूंजी भारत से बाहर निकाली गई, जो पिछले वर्ष के 41 अरब डॉलर से अधिक है। इसका कारण स्विगी और विशाल मेगा मार्ट जैसे बड़े आईपीओ में निवेशकों द्वारा मुनाफा वसूली करना रहा है। हुंडई मोटर्स ने अपने आईपीओ में हिस्सेदारी 100% से घटाकर 82.5% कर दी।

दूसरी वजह भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में निवेश में बढ़ोतरी है। भारतीय कंपनियों ने विदेश में 29 अरब डॉलर का निवेश किया, जो पिछले वर्ष के 17 अरब डॉलर से काफी अधिक है। यह ग्लोबल सप्लाई चेन में बदलावों का फायदा उठाने की रणनीति को दर्शाता है।

तीसरा, कराधान और नियामक जटिलताएं भी निवेशकों के लिए चुनौती बनी हुई हैं। बार-बार बदलते कर कानून और अनुपालन की जटिलताओं ने विदेशी निवेशकों का भरोसा कम किया है।

क्‍या कहते हैं आरबीआई के आंकड़े

आरबीआई की मासिक बुलेटिन के मुताबिक साल 2025  में सकल एफडीआई प्रवाह में 13.7 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 81 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो मुख्य रूप से विनिर्माण, वित्तीय सेवाओं, बिजली, और ऊर्जा क्षेत्रों में केंद्रित है। हालांकि शुद्ध एफडीआई में भारी कमी का कारण पूंजी की वापसी और भारतीय कंपनियों का विदेशी निवेश रहा। आरबीआई ने यह भी उल्लेख किया कि यह ट्रेंड एक परिपक्व बाजार का संकेत देता है, जहां निवेशक आसानी से निवेश कर सकते हैं और मुनाफा निकाल सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स में वित्तीय सेवा फर्म सिस्टमैटिक्स ग्रुप के शोध प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, “एफडीआई की प्रकृति बदल गई है। अब विदेशी निवेशक लंबी अवधि के पूंजी निर्माण के बजाय अल्पकालिक मुनाफे पर ध्यान दे रहे हैं।” वहीं, इंडियन वेंचर कैपिटल एसोसिएशन का कहना है कि आईपीओ के जरिए निवेशकों को निकलने के मौके बढ़े हैं, जिसने एफडीआई को प्रभावित किया है।

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