लखनऊ। उत्तरप्रदेश में निजीकरण के खिलाफ विद्युतकर्मियों ने मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारियों का आंदोलन तीसरे दिन भी जारी है। पूर्वान्चल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है। शुक्रवार को विद्युत विभाग जनपद के कर्मचारियों और अभियंताओं ने तीन घण्टे का कार्य बहिस्कार कियाऔर कर्मियों से एकजुटता के साथ आंदोलन करने आह्वान किया। Aandolan Ki khabar
सहारनपुर के घण्टाघर स्थित बिजलीघर परिसर में तीसरे दिन आयोजित विरोध सभा संघर्ष समिति के कर्मचारियों ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि प्रबंधन निजीकरण की जिद पर अड़ा हुआ है, हठवादी रवैया अपना रहा है और शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे बिजली कर्मियों पर हड़ताल थोपना चाहता है। जबकि संघर्ष समिति द्वारा अभी तक हड़ताल करने का कोई भी नोटिस नहीं दिया गया है।
पावर कारपोरेशन के चेयरमैन, मुख्य सचिव को और शासन के बड़े अधिकारियों को पत्र भेजकर गुमराह कर रहे हैं। संधर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण से कर्मचारियों की सेवा शर्ते तो प्रभावित होती ही है। कर्मचारियों के साथ-साथ सबसे जयादा दुष्प्रभाव आम घरेलू उपभोक्ताओं, किसानों और गरीब उपभोक्ताओं पर पड़ता है।
कर्मचारियों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा में करार के अनुसार निजी कंपनी को अपना विद्युत उत्पादन ग्रह स्थापित करना था जो उसने आज तक नहीं किया। ग्रेटर नोएडा की कंपनी किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली देने के बजाय ज्यादा रूचि औद्योगिक और वाणिज्यक क्षेत्र में बिजली देने में लेती है। स्वाभाविक है कि निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है, जबकि सरकारी कंपनी सेवा के लिए काम करती है। आगरा में भी उपभोक्ताओं की बहुत शिकायतें है।
विद्युतकर्मियों नेसभा में संकल्प लिया कि प्रदेश की आम जनता के व्यापक हित में और कर्मचारियों के हित में बिजली का निजीकरण पूरी तरह अस्वीकार्य है और लोकतांत्रिक ढंग से इस निजीकरण को समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण के विरोध में आंदोलन उपभोक्ताओं को साथ में लेकर लड़ा जा रहा है।