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भाजपा के पास, कांग्रेस से दूर हुए शशि थरूर

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ByLens News Network
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Published: May 17, 2025 6:11 PM
Last updated: May 18, 2025 4:49 PM
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आवेश तिवारी, दिल्ली। कांग्रेस पार्टी और पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ( Shashi Tharoor ) के बीच महीनों से जारी मूक युद्ध ने अब बड़ा आकार ले लिया है। कांग्रेस ने भारत पाक तनाव के मुद्दे पर विदेश यात्राओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा मंगाई गई चार नामों की सूची में शशि थरूर का नाम नहीं रखा है वहीं मोदी सरकार ने जिन 7 सदस्यों की सूची तैयार की है उसमें कांग्रेस से थरूर का नाम है। महत्वपूर्ण है कि शशि थरूर संसद की विदेश मामलों की स्थाई समिति के अध्यक्ष भी हैं।

खबर में खास
कांग्रेस के चार नामशशि के इर्द गिर्द घूमती सियासी चर्चाएंशुक्रिया और सहमति की राजनीतिशशि को लेकर भाजपा का हमलाकांग्रेस कार्यसमिति में हो चुकी मंत्रणाशशि के पक्ष में जाता अटल जी का तर्क

इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष पद के पूर्व प्रत्याशी शशि थरूर ने केंद्र सरकार द्वारा डेलिगेशन में नाम शामिल किए जाने पर भाजपा सरकार की प्रशंसा की है। यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस की सूची में नाम न होने के बावजूद क्या शशि विदेश जायेंगे? शशि और भाजपा के रुख से कांग्रेस पार्टी सकते में है।

कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा द लेंस से कहते हैं इसमें राजनीति हो रही है। जब कांग्रेस ने लगातार युद्ध के मोर्चे पर सरकार का साथ दिया तो सरकार को भी कांग्रेस की सूची से ही नाम लेने चाहिए थे, यह सवाल राजनीतिक नैतिकता का भी है।

कांग्रेस के चार नाम

कांग्रेस ने विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में जिन चार नामों का चयन किया है उन्हें गौरव गोगोई, आनंद शर्मा, सैयद नासिर हुसैन और राजा बरार का नाम शामिल है। जबकि चर्चा थी कि इसमें मनीष तिवारी और शशि थरूर का नाम हो सकता है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इस प्रतिनिधिमंडल के लिए कांग्रेस से चार नाम मांगे थे। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजीजू ने इसके लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से संपर्क किया था।

शशि के इर्द गिर्द घूमती सियासी चर्चाएं

अब जबकि केरल में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होना है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर का भाजपा प्रेम और भाजपा का शशि प्रेम बार बार छलक रहा है। लंबी खामोशी के बाद अब कांग्रेस ने शशि के बयानों और उनकी गतिविधियों को लेकर चर्चा भी शुरू कर दी है ने। शशि के केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने की खबर का केरल कांग्रेस ने स्वागत भी किया था लेकिन अब कांग्रेस पार्टी के नेताओं के स्वर बदले हुए हैं। उधर दक्षिण में भाजपा के पास नेतृत्व का गंभीर संकट है सो इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि हो न हो शशि खेमा बदल सकते हैं हालांकि शशि थरूर ने इस तरह के बयानों का हमेशा खंडन किया है और पार्टी लाइन एवं व्यक्तिगत लाइन का उदाहरण देकर अपना बचाव किया है।


शुक्रिया और सहमति की राजनीति

शशि थरूर ने दिया केंद्र सरकार को धन्यवाद
भाजपा द्वारा विदेशी डेलिगेशन का सदस्य बनाए जाने पर शशि थरूर ने X पर लिखा है कि मैं हाल की घटनाओं पर हमारे देश का दृष्टिकोण रखने के लिए पांच प्रमुख देशों की राजधानियों में एक सर्वदलीय डेलिगेशन का नेतृत्व करने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। जब राष्ट्रीय हित की बात होगी और मेरी सेवाओं की जरूरत होगी, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा।’इससे पहले शशि थरूर ने 8 मई को केंद्र सरकार की जमकर तारीफ की कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान और दुनिया के लिए मजबूत संदेश का काम करेगा। महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार की इस पहल का उद्देश्य 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर की शुरूआत के बाद भारत की स्थिति के बारे में अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाना है।

थरूर ने बार-बार खुद को अपनी पार्टी की आधिकारिक लाइन से अलग रक्षा है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत हुए हमलों को “मजबूत, सुनियोजित” और अपने पहले के सुझावों के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा था, “भारत आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहता था, और मेरा मानना है कि सबक सिखाया गया है,” जिस पर पार्टी के भीतर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं।

शशि को लेकर भाजपा का हमला

भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस द्वारा जारी की गई सूची थरूर को नामित करने की अनिच्छा पर सवाल उठाए हैं। मालवीय ने सोशल मीडिया पर लिखा, “शशि थरूर की वाकपटुता, उनके संयुक्त राष्ट्र के अनुभव और उनकी विदेश नीति विशेषज्ञता को कोई नकार नहीं सकता। तो फिर कांग्रेस-खासकर राहुल गांधी ने उन्हें क्यों नज़रअंदाज़ किया? असुरक्षा? ईर्ष्या? या ‘हाईकमान’ से बेहतर प्रदर्शन करने वाले किसी भी व्यक्ति के प्रति असहिष्णुता?”

कांग्रेस कार्यसमिति में हो चुकी मंत्रणा

केरल में विझिनजाम बंदरगाह के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मौजूदगी ने असहजता को और बढ़ा दिया, जबकि कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया था। कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज शशि थरूर यहां बैठे हैं। आज का कार्यक्रम कुछ लोगों की नींद में खलल डालेगा। संदेश जहां जाना था, वहां पहुंच गया है।” गौरतलब है कि कांग्रेस कार्यसमिति की हालिया बैठक में भी शशि थरूर के बदलते रुख पर चर्चा हुई और यह कहा गया कि वह लक्ष्मण रेखा लांघने की कोशिश कर रहे हैं।

शशि के पक्ष में जाता अटल जी का तर्क

कांग्रेस में एक तबका ऐसा भी है जो अब भी शशि के खिलाफ नहीं है। वह इसे उनकी स्वाभाविक राजनीति मानता है और शशि के समर्थन में अटल बिहारी वाजपेई के तर्क देता है। गौरतलब है कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई भीं1998 में विदेश मंत्री थे और ऐसे मौके आए जब कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेई को विपक्षी होने के बावजूद विदेशों में प्रतिनिधित्व के लिए चुना। वैसे शशि थरूर अभी संसद की विदेशी मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं।

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