रायपुर। सीबीआई ने शुक्रवार को रायपुर में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के ठिकानों पर छापा मारा। सीबीआई को छापे के दौरान कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं। जिनकी जांच की जा रही है।
राज्य सरकार की अधिसूचना के बाद केंद्र की मंजूरी के बाद सीबीआई ने यह कार्रवाई की। सीबीआई ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर में दर्ज एफआईआर को अपने हाथ में लेकर 16 अप्रैल 2025 को नए सिरे से एफआईआर दर्ज की है। पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और सतीश चंद्र वर्मा पर अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करने का आरोप है।
इन अधिकारियों ने नागरिक आपूर्ति निगम मामले में ईडी और ईओडब्ल्यू/एसीबी द्वारा की जा रही कार्रवाई को प्रभावित करने की कोशिश की। आरोपों के मुताबिक, आयकर विभाग द्वारा जब्त डिजिटल साक्ष्यों से पता चला है कि आरोपियों ने मामले की जांच को कमजोर करने के लिए लगातार प्रयास किए।
महाधिवक्ता को लाभ पहुंचाने के आरोप
सीबीआई की प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए प्रयास किए गए थे। इन अधिकारियों ने ना सिर्फ खुद के लिए अग्रिम जमानत सुनिश्चित करने की कोशिश की, बल्कि राज्य आर्थिक अपराध शाखा में तैनात अधिकारियों को दस्तावेजों में फेरबदल करने के लिए भी राजी किया।
हाईकोर्ट में दाखिल जवाबों में की गई छेड़छाड़
सीबीआई को जांच में यह भी पता चला है कि नान प्रकरण से संबंधित उच्च न्यायालय में दाखिल होने वाले जवाबों में भी मनमाने तरीके से फेरबदल कराए गए। सीबीआई का कहना है कि मामले की जांच अभी प्रारंभिक स्तर पर है और आगे और भी अहम खुलासे हो सकते हैं।
कई और अधिकारियों पर कार्रवाई के संकेत
सीबीआई में दर्ज एफआईआर के मुताबिक इस मामले में कई और नए नाम जुड़ सकते हैं। जिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने जांच में बाधा डालने का प्रयास किया, उनकी भूमिका भी जांच के दायरे में है।