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लेंस संपादकीय

संघ मुख्यालय में मोदी

Editorial Board
Editorial Board
Published: March 31, 2025 7:48 PM
Last updated: April 16, 2025 3:39 PM
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नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के 11 साल बाद पहली बार आरएसएस मुख्यालय पहुंच कर चौकाया नहीं है, बल्कि इससे वह महीन आवरण भी खत्म हो गया, जिसमें यह जतलाने की कोशिश होती रही है कि आरएसएस सिर्फ एक सांस्कृतिक संगठन है। दरअसल 2014 में भाजपा को अपने दम पर मिली सत्ता के बाद से मोदी सरकार आरएसएस के एजेंडे पर ही चल रही है और अब जब संघ अपनी स्थापना के सौ वें वर्ष में है, तब प्रधानमंत्री की उसके मुख्यालय में मौजूदगी से यही समझने में मदद मिल रही है कि 15 अगस्त, 1947 के बाद से यह देश कितनी दूर चला गया है। मोदी की मुश्किल यह है कि आजादी के आंदोलन में संघ की भूमिका को लेकर उनके पास बताने को कुछ खास नहीं है, और यह उनके भाषण में भी दिखा। संघ और भाजपा के बीच तकरार की खबरों और अटकलों के बीच यह भी समझने की जरूरत है कि दोनों एक दूसरे को पोषित करते हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि मोदी का नागपुर दौरा लोकसभा चुनाव के नौ महीने बाद हुआ है, जिसमें भाजपा ने 400 सीटों का दावा किया था और वह 232 सीटों में सिमट गई थी! इस सबके बीच, सवाल यह नहीं है कि मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच क्या बातें हुईं, हुई भी या नहीं, यह दौरा मोदी की पहल पर हुआ या संघ की पहल पर, दरअसल सवाल यह है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी नागपुर पहुंच कर किसे और क्या संदेश देना चाहते थे?

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