अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन जब देश भर में महिलाओं की सुरक्षा के दावे किए जा रहे थे, कर्नाटक के हम्पी के नजदीक एक इस्राइली पर्यटक और उसकी मेजबान के साथ हुई सामूहिक बलात्कार की घटना ने हमारी सामूहिक चेतना को झकझोर कर रख दिया है। पता यह भी चला है कि इन महिलाओं के एक साथ की हत्या तक कर दी गई। बेशक, सारे तथ्य जांच से सामने आएंगे, लेकिन इस घटना ने महिला सुरक्षा के तमाम दावों को उघाड़कर रख दिया है। और यह तब हो रहा है, जब वसुधैव कुटंबकम और अतिथि देवो भवः पर खासा जोर देने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को गुजरात के नवसारी में दावा किया कि पिछले दस सालों में महिला सुरक्षा उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। बेशक कानून व्यवस्था राज्य की जिम्मेदारी है, लिहाजा कर्नाटक की घटना के लिए वहां की राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा सकता है। दरअसल सवाल महिला सुरक्षा को व्यापक नजरिये से देखने से जुड़ा है। 2022 के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में औसतन हर रोज बलात्कार के 86 मामले सामने आते हैं और इससे भी भयावह है कि ऐसे मामलों में सजा देने की दर सिर्फ 2.56 फीसदी है! अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पूछा जा सकता है कि प्रस्तावित विकसित भारत में महिलाओं का सम्मान और उनकी सुरक्षा कहां है?
शर्मनाक!
