मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “वक्फ बोर्ड पर जेपीसी की रिपोर्ट से कई सदस्य असहमत हैं। उन नोट्स को हटाना और हमारे विचारों को दबाना सही नहीं है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। असहमति रिपोर्ट को हटाने के बाद पेश की गई किसी भी रिपोर्ट की मैं निंदा करता हूं। हम ऐसी फर्जी रिपोर्ट को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। अगर रिपोर्ट में असहमति के विचार ही नहीं हैं, तो उसे वापस भेजा जाना चाहिए और फिर से पेश किया जाना चाहिए।”
नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट आज संसद के दोनों सदनों में पेश की गई। विपक्षी दलों ने इस रिपोर्ट में असहमति को शामिल न किए जाने का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। विपक्षी सदस्यों ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए आरोप लगाया कि यह कदम वक्फ बोर्ड को बर्बाद करने की साजिश है। इससे पहले 30 जनवरी को जेपीसी की यह रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी गई थी।
बिल राज्यसभा में पेश होते ही विपक्ष ने संयुक्त रूप से विरोध शुरू कर दिया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “वक्फ बोर्ड पर जेपीसी की रिपोर्ट से कई सदस्य असहमत हैं। उन नोट्स को हटाना और हमारे विचारों को दबाना सही नहीं है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। असहमति रिपोर्ट को हटाने के बाद पेश की गई किसी भी रिपोर्ट की मैं निंदा करता हूं। हम ऐसी फर्जी रिपोर्ट को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। अगर रिपोर्ट में असहमति के विचार ही नहीं हैं, तो उसे वापस भेजा जाना चाहिए और फिर से पेश किया जाना चाहिए।”
तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि समिति को सौंपे गए उनके असहमति नोट्स को रिपोर्ट से हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, “नियमों के अनुसार केवल अनुचित बातें ही हटाई जा सकती हैं, लेकिन हमारे कानूनी बिंदुओं पर भी विचार नहीं किया गया। हम इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और स्पीकर से भी मुलाकात करेंगे।”
झारखंड मुक्ति मोर्चा की सांसद महुआ माझी ने कहा कि “जेपीसी पक्षपातपूर्ण रही है। आज केंद्र सरकार की नजर वक्फ की जमीन पर है, कल वे दूसरे धर्मों की जमीन हड़पेंगे।”
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, “मैं खुद जेपीसी का सदस्य रहा हूं, लेकिन यह दुखद है कि विपक्ष द्वारा जताई गई असहमति और विरोध को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। जेपीसी की रिपोर्ट को मजाक बना दिया गया है। लोकतंत्र में हर पार्टी को अपनी राय रखने का अधिकार है, फिर उसे नजरअंदाज कैसे किया जा सकता है?”
डीएमके सांसद मोहम्मद अब्दुल्लाह ने कहा, “हम इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे। हमारा रुख शुरुआत से ही स्पष्ट रहा है। इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि हमने समिति को असहमति नोट्स सौंपे थे, लेकिन जेपीसी चेयरमैन ने उनके बड़े हिस्से को हटा दिया है। हम इस मामले में लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा चेयरमैन से अपील करेंगे।”