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लेंस संपादकीय

स्त्रियों के खिलाफ

The Lens Desk
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Published: February 13, 2025 6:25 PM
Last updated: March 6, 2025 3:33 PM
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स्त्रियों के खिलाफ अन्याय कई तरह से हो सकता है और यह कानून के रूप में भी आ सकता है, जिसके हवाले से बिलासपुर हाई कोर्ट की एकल पीठ ने बेहद पीड़ादायक फैसले में पत्नी के साथ ‘अननेचुरल सेक्स’ के मामले में उसके पति को बरी कर दिया है। 2017 में सामने आया यह मामला जिस लड़की से जुड़ा हुआ है, उसकी इस बर्बर कृत्य के बाद मौत हो गई थी। इस घटना ने वैवाहिक संबंधों में बलात्कार के मुद्दे को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है, जिसे आज भी हमारी संसद अपराध मानने को तैयार नहीं है। हाल ही में अस्तिव में आई भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 में वैवाहिक बलात्कार को अपराध के दायरे से बाहर रखने वाले पुराने आईपीसी के प्रावधान को बरकरार रखा गया है। इस कानून के मुताबिक पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक हो तो उसकी मर्जी के बिना पति का यौन संबंध बनाना अपराध नहीं। गजब यह है कि 18 साल की लड़की अपने वोट से देश की तकदीर तो तय कर सकती है, लेकिन अपने पति से यौन संबंध को लेकर असहमति नहीं जता सकती। पति को बख्श देने वाले इस कानूनी अपवाद को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, लेकिन अच्छा तो यह होता कि संसद के भीतर महिला सांसद ऐसे बर्बर कानून के खिलाफ आवाज उठाएं और उसे कूड़ेदान का रास्ता दिखाएं।

TAGGED:Chhattisgarh HighcourtMarital Rape
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