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देश

मध्य प्रदेश में सबसे अधिक बाघों की मौत, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र

The Lens Desk
The Lens Desk
Published: March 4, 2025 4:17 PM
Last updated: April 18, 2025 9:33 AM
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  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार 2012 से अब तक 1431 बाघों की हो चुकी है मौत

रायपुर। जनवरी 2012 से फरवरी 2025 के बीच देश में 1431 बाघों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के आंकड़ों के अनुसार, बाघों की सबसे अधिक मौतें मध्य प्रदेश में हुईं, इसके बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक का नंबरहै।

एनटीसीए की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार 1386 बाघों की मौत में से आधी संरक्षित क्षेत्रों में, जबकि 42 फीसदी मामले संरक्षित क्षेत्रों के बाहर दर्ज किए गए। वहीं, 7 फीसदी मौतें बाघों के सैर-सपाटे के दौरान हुईं।

बाघों की मौत के प्रमुख कारणों में शिकार और प्राकृतिक कारण शामिल हैं, जिनकी संख्या क्रमशः 227 और 559 है। इसके अलावा, 406 मौतों की जांच अब भी जारी है, जबकि अब तक 106 बाघों के अवशेष बरामद किए गए हैं।

सभी बाघों की मौतों को शुरुआती तौर पर शिकार मानकर जांच की जाती है, और पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फोरेंसिक विश्लेषण और अन्य साक्ष्यों के आधार पर मौत के सही कारणों की पुष्टि की जाती है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कुल 71 फीसदी मामलों की जांच पूरी हो चुकी है, जबकि 29 फीसदी मामले लंबित हैं।

राज्यों में 2012 से अब तक बाघों की मौत के आंकड़े

• मध्य प्रदेश 355
• महाराष्ट्र 261
• कर्नाटक 179
• उत्तराखंड 132
• तमिलनाडु 89
• असम 85
• केरल 76
• उत्तर प्रदेश 67
• राजस्थान 36
• बिहार 22
• छत्तीसगढ़ 21
• गोवा 4
• नागालैंड 2
• दिल्लीं 2
• झारखंड, हरियाणा, गुजरात और अरुणाचल प्रदेश में 1-1 बाघ की मौत हुई है।

क्या है विशेषज्ञों की राय

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बाघों की अधिक मौतों का कारण इन राज्यों में बाघों की ज्यादा आबादी होना है। कॉर्बेट फाउंडेशन के संरक्षणवादी केदार गोरे बताते हैं कि बाघों की मौत के अधिकतर मामले 8 से 12 घंटे बाद सामने आते हैं, जिससे कारणों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

उनका मानना है कि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर बढ़ती बाघों की आबादी और बाघों के क्षेत्रों में बढ़ते खतरों के कारण मानव-पशु संघर्ष बढ़ रहा है। ताड़ोबा टाइगर रिजर्व के आसपास ब्रह्मपुरी, चंद्रपुर और मध्य चंदा वन प्रभागों में 2019 से 2024 के बीच बाघों के हमलों में 253 लोगों की जान गई है।

बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के निदेशक किशोर रीठे ने मीडिया को बताया कि संरक्षित क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हुई है, लेकिन बुनियादी ढांचे, खनन और अन्य विकास परियोजनाएं बाघ गलियारों के लिए गंभीर खतरा बनी हुई हैं।

भारत में बाघों की संख्या

भारत में विश्व की 75% जंगली बाघ मौजूद हैं। 9 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित आंकड़ों के अनुसार, देश में बाघों की न्यूनतम आबादी 3167 आंकी गई थी। भारतीय वन्यजीव संस्थान के ताजा आंकड़ों के अनुसार, यह संख्या बढ़कर 3925 तक पहुंच सकती है, जो प्रति वर्ष 6.1% की वृद्धि दर्शाती है।

मध्य प्रदेश में 785 बाघों के साथ सबसे बड़ी बाघ आबादी दर्ज की गई, इसके बाद कर्नाटक (563), उत्तराखंड (560) और महाराष्ट्र (444) का स्थान रहा।

प्रमुख बाघ अभयारण्यों में जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान (260) में सबसे अधिक बाघ हैं, जबकि बांदीपुर (150), नागरहोल (141), बांधवगढ़ (135), दुधवा (135), मुदुमलाई (114), कान्हा (105), काजीरंगा (104), सुंदरबन (100), ताड़ोबा (97), सत्यमंगलम (85) और पेंच (77) भी बाघों की अच्छी संख्या वाले अभयारण्य हैं।

बाघ संरक्षण के लिए अभियान
1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की। तब देश के 27 बाघ अभयारण्यों को इसके दायरे में लाया गया था। 2003 के आंकड़ों के अनुसार 1,498 बाघों की गिनती हुई थी। 2005 में टाइगर टास्क फोर्स ने मौजूदा रणनीति में कमियों को उजागर किया जो हथियारों, वनरक्षकों एवं बाड़ों पर बहुत अधिक निर्भर थी। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में ‘सेव द टाइगर’ अभियान शुरू हुआ।

TAGGED:Big_NewsMadhya PradeshMaharashtraNational Tiger Conservation AuthorityNTCAProject Tiger
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