नई दिल्ली। आज सुबह एक दुखद खबर आई। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी के पति, मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील Swaraj Kaushal का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन से राजनीति, कानून और पूर्वोत्तर भारत के शांति इतिहास से जुड़ा एक पूरा युग खत्म सा हो गया। स्वराज कौशल की इकलौती बेटी, नई दिल्ली की सांसद बांसुरी स्वराज ने पिता का साया सिर से उठते देखा। दिल्ली भाजपा ने उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि की है।
सबसे कम उम्र के गवर्नर और शांति दूत
स्वराज कौशल का नाम भारतीय राजनीति और कानून जगत में अलग पहचान रखता है। महज 37 साल की उम्र में वे 1990 में मिजोरम के राज्यपाल बने थे और देश के सबसे युवा गवर्नर बने। 1990 से 1993 तक अपने कार्यकाल में उन्होंने मिजो शांति समझौते को सफलतापूर्वक लागू करवाया। दशकों पुराने विद्रोह को खत्म करने और पूर्वोत्तर में शांति लाने में उनकी भूमिका को आज भी ऐतिहासिक माना जाता है। बाद में 1998-2004 तक वे हरियाणा से राज्यसभा सांसद भी रहे।
सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील
कानून की दुनिया में स्वराज कौशल सीनियर एडवोकेट के तौर पर जाने जाते थे। उन्होंने कई बड़े और हाई-प्रोफाइल केस लड़े। उनकी ईमानदारी, तेज दिमाग और साफगोई के लिए हर तरफ सम्मान था। सुषमा स्वराज अक्सर कहती थीं कि उनकी हर सफलता के पीछे स्वराज कौशल का हाथ और सलाह रही है।
इमरजेंसी के कोर्टरूम से शुरू हुई अनोखी प्रेम कहानी
सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल की लव स्टोरी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। 1975 की इमरजेंसी के दौरान दोनों युवा वकील जॉर्ज फर्नांडिस की लीगल टीम में साथ थे। एक तरफ जनसंघ से जुड़ी सुषमा, दूसरी तरफ सोशलिस्ट विचारधारा के स्वराज, दोनों ने विचारधारा की सारी दीवारें तोड़कर 13 जुलाई 1975 को शादी कर ली। खुद जयप्रकाश नारायण ने उन्हें आशीर्वाद दिया था। आज स्वराज कौशल के जाने से बांसुरी स्वराज ने अपने पिता के साथ-साथ अपना सबसे बड़ा मेंटर भी खो दिया। देश ने एक ईमानदार प्रशासक, कुशल वकील और शांति के सच्चे सिपाही को खो दिया।

