असम Assam की दिम्पी सरमा को ट्रेन में सांस की तकलीफ और सीने में तेज दर्द हुआ। वजह थी त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस के रिजर्व्ड कोच S-3 में बिना टिकट यात्रियों की भयानक भीड़। दिम्पी अपने 17 साथियों के साथ दिल्ली के राष्ट्रीय एकता शिविर से गुवाहाटी लौट रही थीं उनके पास सभी के कन्फर्म टिकट थे, लेकिन कोच में घुसते ही सब हैरान रह गए। दोनों दरवाजे बंद थे, कोच पैक था, सीटों पर, फर्श पर और यहाँ तक कि बाथरूम के पास भी लोग भरे हुए थे।
पंद्रह मिनट की जद्दोजहद के बाद टीम किसी तरह अंदर पहुँची। हवा एकदम बंद थी। भीषण गर्मी और बदबू से दिम्पी को पहले चक्कर आए, फिर सांस फूलने लगी। एक घंटे तक घुटन सहने के बाद उनकी हालत बिगड़ गई। सीने में तेज दर्द, बार-बार खांसी और हाथ-पाँव ठंडे पड़ने लगे। साथ यात्रा कर रही गुवाहाटी की कंटेंट क्रिएटर अनाया साह ने फौरन वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर मदद मांगी। उसने लिखा, ‘रेलवे हेल्पलाइन कोई फोन नहीं उठा रही, कृपया इसे शेयर करें।’
रात करीब एक बजे टीम ने इमरजेंसी चेन खींची। ड्राइवर ने दूर से टॉर्च दिखाई और आगे बढ़ गया। न टीटी आया, न कोई डॉक्टर, न रेलवे पुलिस। सारे हेल्पलाइन नंबर बेकार साबित हुए। जैसे तैसे सफर पूरा करने के बाद सभी साथियों के साथ दिम्पी अवध पहुंची ।
दिम्पी ने बाद में बताया कि दिल्ली से बिहार तक ट्रेन पूरी तरह बिना टिकट वालों से भरी थी, बिहार पार करते ही ज्यादातर यात्री गायब हो गए। साफ था कि कुछ स्टेशनों पर मिलीभगत से लोगों को चढ़ाया जाता है और बाद में उतार दिया जाता है।
अनाया के दोनों वीडियो वायरल हो चुके हैं। लाखों लोग गुस्से में हैं और सवाल पूछ रहे हैं कि रिजर्व्ड कोच का मतलब ही क्या बचा है? पैसे देकर टिकट लेने वालों को भी जान जोखिम में क्यों डालना पड़ रहा है? अब तक रेलवे की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। लोग माँग कर रहे हैं कि रिजर्व्ड डिब्बों में सख्त चेकिंग हो, हर कोच में कर्मचारी तैनात रहे और मेडिकल इमरजेंसी में तुरंत मदद मिले। वरना ट्रेन का सफर डर का दूसरा नाम बन जाएगा।

