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लेंस रिपोर्ट

RTI कानून के 20 साल पूरे होने पर अरुणा रॉय बोलीं – ‘जैसे जनता ने मिलकर यह कानून बनवाया, वैसे ही अब मिलकर इसे बचाना होगा’

पूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन
Byपूनम ऋतु सेन
पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की...
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Published: November 24, 2025 1:59 PM
Last updated: November 24, 2025 1:59 PM
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सूचना का अधिकार (RTI) कानून ने अपने 20 साल पूरे कर लिए। 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ यह कानून आम नागरिक को सरकार से सवाल पूछने की ताकत देता है, लेकिन आज यह कई गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। देशभर के सूचना आयोगों में 4 लाख से ज्यादा अपीलें लंबित हैं और कुछ राज्यों में फैसला आने में 29 साल तक लग सकते हैं।

खबर में खास
जमीनी स्तर पर जवाबदेही की कमीआज भी कितना ताकतवर है आम आदमी?

द लेंस ने आरटीआई आंदोलन की सबसे प्रमुख आवाज मज़दूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) की संस्थापक अरुणा रॉय से ईमेल के जरिए बात की।

राजस्थान के एक छोटे से गांव देवड़ा से शुरू हुआ आंदोलन आज दुनिया के सबसे मजबूत पारदर्शिता कानूनों में से एक बन चुका है। अरुणा रॉय ने इस विषय पर कहा – ‘आरटीआई को जनता ने बनवाया था, अब जनता ही इसे बचाएगी।’

कानून की सबसे बड़ी ताकत –

अरुणा रॉय ने ईमेल में आगे लिखा – ‘यह कानून गरीब मजदूरों के संघर्ष से निकला। हर साल 40-60 लाख आवेदन यह बताते हैं कि लोग खुद को सशक्त महसूस करते हैं। 2G, कॉमनवेल्थ, आदर्श जैसे बड़े घोटाले इसी कानून से सामने आए। 2019 में सरकार ने सूचना आयुक्तों का कार्यकाल और वेतन अपने हाथ में ले लिया। अब डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन कानून के नाम पर जनहित वाली निजी सूचनाएं भी छिपाने की तैयारी है। अगर यह हुआ तो RTI पूरी तरह पंगु हो जाएगा।’

जमीनी स्तर पर जवाबदेही की कमी

‘अधिकारी ऊपर वालों के प्रति ज्यादा जवाबदेह हैं, जनता के प्रति कम। राजस्थान में हम 10 साल से ‘जवाबदेही कानून’ की मांग कर रहे हैं जिसमें हर पंचायत में सूचना-शिकायत केंद्र हो और गलती पर अधिकारी को जुर्माना और नागरिक को मुआवजा मिले। लोग क्यों पीछे हटते हैं क्योंकि उन्हें जानकारी की कमी है। कई RTI कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। व्हिसलब्लोअर कानून को मजबूत करना होगा।’

आज भी कितना ताकतवर है आम आदमी?

अरुणा रॉय कहतीं हैं ‘आरटीआई आज भी सबसे बड़ा हथियार है। इलेक्टोरल बॉन्ड, नोटबंदी, कोविड वैक्सीन खरीद, पेगासस जैसे मामलों में सरकार ने जानकारी देने से इनकार किया, लेकिन सवाल पूछना बंद नहीं हुआ। सच्चाई अपने आप में सबसे बड़ी ताकत है।’

अरुणा रॉय ने ये भी कहा ‘जैसे जनता ने मिलकर यह कानून बनवाया, वैसे ही अब मिलकर इसे बचाना होगा। सूचना आयोगों में खाली पद भरे जाएं, संशोधनों का विरोध हो और जनसूचना पोर्टल जैसे प्रयोग पूरे देश में फैलें।’

20 साल का यह सफर बताता है कि जब आम नागरिक एकजुट होता है, तो सबसे मजबूत कानून भी बन सकता है और सबसे बड़ी सत्ता को भी जवाब देना पड़ता है। अब सवाल सिर्फ यह है क्या हम इसे बचाने के लिए फिर एकजुट होंगे?

TAGGED:ARUNA ROYRTITop_News
Byपूनम ऋतु सेन
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पूनम ऋतु सेन युवा पत्रकार हैं, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद लिखने,पढ़ने और समाज के अनछुए पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता पत्रकारिता की ओर खींच लाई। विगत 5 वर्षों से वीमेन, एजुकेशन, पॉलिटिकल, लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर लगातार खबर कर रहीं हैं और सेन्ट्रल इण्डिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अलग-अलग पदों पर काम किया है। द लेंस में बतौर जर्नलिस्ट कुछ नया सीखने के उद्देश्य से फरवरी 2025 से सच की तलाश का सफर शुरू किया है।
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