चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया, जो वोटर लिस्ट को अपडेट कराने के लिए 4 नवंबर से 12 राज्यों में चल रही है, अब जानलेवा बन गई है। बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर फॉर्म-6, 6A, 7 और 8 भरवा रहे हैं, फोटो खींच रहे हैं और ऐप पर डेटा अपलोड कर रहे हैं। लेकिन बेहिसाब काम का बोझ, हर BLO को औसतन 1000-1200 वोटरों का टारगेट, सिर्फ तीन चरणों में पूरा करने की सख्त समय-सीमा जो 4 दिसंबर तक की है , अपर्याप्त ट्रेनिंग और ऊपर से कुछ राज्यों में लोकल बॉडी चुनाव का अतिरिक्त काम – इन सबने BLOs को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया है।

नवंबर से अब तक कम से कम 12 BLOs की मौत हो चुकी है आत्महत्या, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक से। सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश से आए हैं। 22 नवंबर को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में 51 साल की पैरा-टीचर रिंकू तारफदार ने घर में फांसी लगा ली। सुसाइड नोट में उन्होंने साफ लिखा ‘SIR का दबाव सहन नहीं कर पा रही। ECI जिम्मेदार है।’

इसपर तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि अक्टूबर से बंगाल में ही 28 BLO मौतें हो चुकी हैं। सीएम ममता बनर्जी ने X पर नोट की कॉपी शेयर करते हुए लिखा,’SIR के नाम पर और कितनी जानें जाएंगी? यह अब चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। प्रक्रिया तुरंत रोकी जाए।’
केरल में कन्नूर के BLO अनीश जॉर्ज ने 16 नवंबर को आत्महत्या कर ली, जिसके बाद पूरे राज्य में सरकारी कर्मचारियों ने SIR का बहिष्कार कर दिया। जयपुर में BLO मुकेश जांगिड़ ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दी और सुसाइड नोट में SIR टारगेट का जिक्र किया। राजस्थान के सवाई माधोपुर में BLO हरिराम बैरवा को हार्ट अटैक आया, पश्चिम बंगाल में नामिता हंसदा को ब्रेन स्ट्रोक से जान गई।

गुजरात में चार दिन में चार BLOs की हार्ट अटैक से मौत हुई। मध्य प्रदेश के रायसेन और दमोह में दो BLO बीमारी से मरे, परिवारों ने SIR का दबाव बताया। छत्तीसगढ़ में पार्षद-विधायकों द्वारा BLOs को धमकाने और खींचतान की शिकायतें आई हैं। X पर #SIRControversy और #SaveBLO ट्रेंड कर रहे हैं, कुछ यूजर्स BLOs पर गुंडों के हमले का भी आरोप लगा रहे हैं।
तमिलनाडु में सरकारी कर्मचारी यूनियनों ने 18 नवंबर से SIR का पूरी तरह बहिष्कार कर दिया और समय सीमा बढ़ाने की मांग की। BLOs का कहना है कि 1000-1200 वोटर्स का टारगेट तीन चरणों में पूरा करना नामुमकिन है, ऊपर से केरल-तमिलनाडु जैसे राज्यों में पंचायत चुनाव का काम भी जोड़ा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को SIR पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया और सभी हाई कोर्ट्स को केस टालने को कहा।

चुनाव आयोग ने बचाव में BLOs का मानदेय दोगुना करके 6000 रुपये करने और स्पेशल ड्राइव के लिए अलग से इंसेंटिव देने का ऐलान किया, लेकिन विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। विपक्षी दल और कर्मचारी संगठन दबाव कम करने, पूरी ट्रेनिंग देने और समय सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। चुनाव आयोग का तर्क है कि SIR फर्जी वोटर हटाने और लिस्ट को साफ करने के लिए जरूरी है, साथ ही BLOs की शिकायतों पर कार्रवाई का वादा किया है लेकिन जिस तरह मौतों का सिलसिला बढ़ रहा है, उसने आने वाले चुनावों से पहले वोटर लिस्ट की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

