लेंस डेस्क। रुपये की चाल रह रहकर बिगड़ रही है। डालर के मुकाबले रुपया अब 90 के स्तर को छूने को बेताब हो गया है। शुक्रवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक रूप से कमजोर हो गया। घरेलू बाजार में अचानक बढ़ी डॉलर खरीदारी, शेयर बाजारों में भारी बिकवाली और व्यापारिक अनिश्चितता के दबाव में रुपया पूरे 98 पैसे टूटकर 89.66 के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ।
विदेशी निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी और एआई से जुड़े टेक्नोलॉजी शेयरों में बुलबुले के फूटने की आशंका ने निवेशकों का मनोबल तोड़ दिया। इसके अलावा क्रिप्टो बाजार में बड़ी गिरावट और वैश्विक स्तर पर जोखिम से बचने का माहौल बना रहने से उभरते बाजारों की मुद्राएं कमजोर हुईं, जिनमें रुपया भी शामिल है।
इससे पहले फरवरी 2022 में एक दिन में 99 पैसे की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। गुरुवार को भी रुपया 20 पैसे फिसलकर 88.68 पर बंद हुआ था। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार इस बार की भारी कमजोरी किसी बाहरी झटके से नहीं, बल्कि अंदरूनी स्तर पर डॉलर की भारी मांग से आई। डॉलर इंडेक्स, कच्चा तेल, सोना या अन्य उभरती मुद्राओं में कोई खास हलचल नहीं थी, जिससे साफ है कि दबाव पूरी तरह घरेलू कारणों से बना।
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और अमेरिका की ओर से आयात शुल्क बढ़ाने की खबरों ने भी डॉलर की मांग को और तेज कर दिया। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये को किसी तय स्तर पर नहीं रखता, उसका मूल्य बाजार की मांग-आपूर्ति से तय होता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही दोनों देशों के बीच सकारात्मक व्यापारिक करार हो जाएगा, जिससे मौजूदा दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा।

