नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जाँच एजेंसी ने कथित “राष्ट्र-विरोधी” और अलगाववादी गतिविधियों की जाँच के सिलसिले में कश्मीर टाइम्स के जम्मू कार्यालय पर छापा (Kashmir Times office raided) मारने की प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने पुरजोर आलोचना की है। क्लब ने कहा है कि सरकार को बताअ चाहिए कि संपादक और समाचार पत्र ने कौन सी देश के विरुद्ध गतिविधियां की है।
महत्वपूर्ण है कि कश्मीर टाइम्स पर साज़िश के आरोप वाली एक प्राथमिकी के तहत की गई छापेमारी में एक रिवॉल्वर, एके सीरीज़ के खाली और ज़िंदा कारतूस, चली हुई गोलियाँ, संदिग्ध पिस्तौल के राउंड और ग्रेनेड सेफ्टी लीवर के साथ-साथ डिजिटल उपकरण और दस्तावेज़ बरामद हुए। मीडिया जगत ने इस कार्रवाई की निंदा की। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती ने कश्मीर टाइम्स को “उन दुर्लभ अख़बारों में से एक बताया, जिन्होंने सत्ता के सामने सच बोला और झुकने से इनकार कर दिया”। द कारवां के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल ने लिखा: “किसी भी पत्रकार की आज़ादी और साहस, किसी भी बहाने से उन पर कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त कारण रहे हैं लेकिन अनुराधा भसीन को निशाना बनाकर हम एक नए निम्न स्तर पर पहुँचते दिख रहे हैं।”

पत्रकारों की सुरक्षा समिति सीपीजे के कुणाल मजूमदार ने कहा कि अधिकारियों को इस कार्रवाई का कानूनी आधार स्पष्ट करना चाहिए और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। “समाचार माध्यमों को सिर्फ़ पत्रकारिता का काम करने के लिए दंडात्मक कार्रवाई का सामना नहीं करना चाहिए।” कश्मीर टाइम्स की प्रबंध संपादक अनुराधा भसीन ने इसे “हमें चुप कराने की एक और कोशिश” बताया। उनके पिता वेद भसीन द्वारा 1954 में स्थापित इस अखबार ने 2021-22 में अपने प्रिंट संस्करण को निलंबित कर दिया था, जिसे संपादकों ने लगातार निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया था। अब यह डिजिटल रूप से संचालित होता है।
भसीन और सह-संपादक प्रबोध जामवाल ने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि अखबार राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देता है या अलगाववाद समर्थक कहानी गढ़ता है। फ्रंटलाइन द्वारा पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, अनुराधा भसीन ने कहा कि “छापे आश्चर्यजनक हैं, लेकिन चौंकाने वाले नहीं हैं। वे लंबे समय से कश्मीर टाइम्स को निशाना बना रहे हैं । 2019 से पहले भी हमने कई चुनौतियों का सामना किया है। हम एक ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहाँ संघर्ष है।”

