राष्ट्रीय विज्ञान दिवस : 2025 की थीम है, ‘विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व के लिए भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना’
द लेंस डेस्क। आज पूरे देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जा रहा है। भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन ने 28 फरवरी, 1928 में रमन इफेक्ट या रमन प्रभाव की खोज की थी, जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सीवी रमन की इसी खोज को समर्पित करते हुए भारत में हर साल आज यानी 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की इस साल 2025 की थीम है, ‘विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व के लिए भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना’। विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग ने इस बार के थीम पर कहा है कि इसका मकसद भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को आगे बढ़ाने में युवाओं को शामिल करना है जो उनके दिमाग की भूमिका पर जोर देता है। यह विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसका लक्ष्य एक विकसित और आत्मनिर्भर भारत बनाना है।
विज्ञान आज हमारे आधुनिक जीवन का आधार जरूर बन गया है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि विज्ञान हमारे लिए ये सब कैसे कर पा रहा है? चलिए,आपको एक रोमांचक यात्रा पर ले चलते हैं-

साइंस, मानव का सबसे बड़ा दोस्त
स्वास्थ्य: टीकों ने महामारी को हराया, मशीनों ने सर्जरी को आसान बनाया।
रोजमर्रा: स्मार्टफोन से लेकर माइक्रोवेव तक, विज्ञान ने समय बचाया।
पर्यावरण: सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन ग्रह को बचा रहे हैं।
विज्ञान ने हमें आसमान से समुद्र तक छूने की ताकत दी, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। अभी इस दिशा में और काम जारी है।
भारत में विज्ञान का योगदान
अंतरिक्ष: चंद्रयान और मंगलयान ने भारत को गर्व से भर दिया।
कृषि: हरित क्रांति ने भूखमरी को कम किया।
तकनीक: UPI और डिजिटल इंडिया ने दुनिया को हैरान किया।
भारत के वैज्ञानिकों ने साबित किया कि हम किसी से कम नहीं, लेकिन आगे की राह आसान नहीं।

भारत में विज्ञान विस्तार की चुनौतियां
फंडिंग की कमी: शोध के लिए पैसा कम, सपने बड़े।
शिक्षा का स्तर: ग्रामीण इलाकों में विज्ञान की पहुँच सीमित।
मानव संसाधन: ब्रेन ड्रेन की समस्या।
रूढ़ियों को तोड़ता विज्ञान
मिथक: ‘विज्ञान सिर्फ पुरुषों के लिए है।’
हकीकत: कल्पना चावला, टेसी थॉमस जैसी महिलाएँ इस मिथक को तोड़ रही हैं।
मिथक: ‘विज्ञान जादू-टोने से कमजोर है।’
हकीकत: चिकित्सा और तकनीक ने अंधविश्वास को चुनौती दी।
विज्ञान तर्क देता है, डर नहीं फैलाता।
मिथकों का खंडन
मिथक: ‘विज्ञान प्रकृति का दुश्मन है।’
सच: हरित तकनीक प्रकृति को बचाने में मदद कर रही है।
मिथक: ‘विज्ञान समझना मुश्किल है।’
सच: आसान प्रयोगों से बच्चे भी सीख सकते हैं।

आप विज्ञान का हिस्सा कैसे बनें?
जिज्ञासु बनें: सवाल पूछें, जवाब खोजें।
शिक्षा: स्कूलों में विज्ञान को गंभीरता से लें।
प्रयोग: घर पर छोटे-छोटे प्रयोग आज़माएँ।
जागरुकता फैलाएं: मिथकों को तोड़ने में मदद करें।
आपका छोटा कदम भारत को विज्ञान में आगे ले जा सकता है।
भविष्य की उम्मीद
विज्ञान ने हमें कोविड से बचाया, अंतरिक्ष तक पहुँचाया और अब AI और जेनेटिक्स के ज़रिए नई दुनिया बना रहा है। भारत में अगर हम चुनौतियों को पार करें, तो अगला नोबेल पुरस्कार हमारा हो सकता है।राष्ट्रीय विज्ञान दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। यह हमें याद दिलाता है कि विज्ञान मानवता का सहारा है। बिना इसके, हम न तो अपनी जरूरतें पूरी कर सकते हैं और न ही आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर दुनिया छोड़ सकते हैं।