रायपुर। छत्तीसगढ़ बिजली कंपनी के उन अधिकारियों और कर्मचारियों को 1 दिसंबर से बिजली बिल में रियायत नहीं मिलेगी जिन्होंने अभी तक पीएम सूर्य घर योजना के तहत पंजीयन भी नहीं करवाया है। कंपनी के नियमित अधिकारी–कर्मचारियों को बिजली के बिल पर पचास फीसदी की छूट मिलती थी। कंपनी के इस फैसले से नाराज़ रिटायर्ड इंजीनियर्स ऑफिसर्स एसोसिएशन ने इसे ना केवल अवैध कहा है बल्कि चेतावनी दी है कि अगर यह छूट बंद की गई तो श्रमिक अशांति पैदा होगी।
पीएम सूर्यघर योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट मानी जाती है । इसे सफल बनाने में राज्य की विष्णु देव साय सरकार ने एड़ी चोटी एक कर रखी है।
पिछले दिनों सरकार ने एक अत्यंत अलोकप्रिय फैसला लेते हुए 400 यूनिट तक की बिजली की खपत पर जनता को मिल रही पचास फीसदी छूट को केवल 100 यूनिट तक कर दिया था। भारी विरोध के बाद अब 200 यूनिट तक की खपत पर छूट का प्रावधान कर दिया गया है लेकिन अभी भी यह पिछली भूपेश बघेल सरकार द्वारा दी जा रही छूट से आधी ही है । तब यह छूट हर किसी को 4 सौ यूनिट तक हासिल ही थी।
आसानी से इसे ऐसे समझा जा सकता है कि भूपेश बघेल सरकार के समय जो प्रावधान था उसके मुताबिक यदि किसी उपभोक्ता का बिल 400 यूनिट से 1 यूनिट भी अधिक आता था तो उसे 400 यूनिट तक की खपत पर हाफ बिजली बिल योजना का लाभ मिलता था। लेकिन अब 2 सौ यूनिट के बाद यदि एक यूनिट बिजली की भी खपत होगी तो उपभोक्ता छूट का पात्र नहीं रह जाएगा ।
लोगों में छूट की इस कटौती से असंतोष था ही कि अब बिजली कंपनी ने अपने उन अधिकारियों कर्मचारियों को मिलने वाली पचास फीसदी छूट को खत्म करने का फैसला किया है जो पीएम सूर्य घर योजना में पंजीकृत नहीं होंगे।
कंपनी के इस कदम के खिलाफ अब रिटायर्ड पावर इंजीनियर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने मोर्चा खोल दिया है।
एसोसिएशन के महासचिव सुनील गणेश ओक ने कंपनी के चेयरमैन रोहित यादव, आईएएस को एक पत्र लिख कर कहा कि अधिकारियों – कर्मचारियों को बिजली के बिल में छूट 1956–57 से दी जा रही है।
पहले यह छूट कम यूनिट की थी फिर 1989 में जब वेतन पुनरीक्षण हुआ तब इसे बढ़ा कर बिजली बिल का पचास फीसदी कर दिया गया था। ऐसी छूट देश भर की सरकारी बिजली कंपनियां अपने अधिकारियों , कर्मचारियों को देती हैं।रेलवे,कोल इंडिया ,सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी अपने अधिकारियों,कर्मचारियों को इस तरह की राहतें देते हैं।
श्री ओक ने विभिन्न प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कंपनी के इस ताजे फैसले को अवैध और श्रमिक असंतोष बढ़ाने वाला कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी का यह निर्णय भेदभाव पूर्ण है क्योंकि जो अधिकारी,कर्मचारी कंपनी के आवासीय परिसरों में रहते हैं उन्हें इस ताज़ा निर्णय में शामिल नहीं किया गया है। इसके दायरे में वही कर्मचारी आयेंगे जो कंपनी के परिसरों के बाहर रहते हैं।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि कंपनी अपने भवनों , उप केंद्रों ,आवास परिसरों में सोलर पैनल क्यों नहीं लगवाती ? उन्होंने मांग की कि कंपनी छूट खत्म करने के अपने इस ताज़ा निर्णय को तत्काल प्रभाव से वापस ले।
बिजली बिल में छूट खत्म करने के मामले में जहां एक तरफ सरकार का पीएम सूर्य घर योजना को प्रोत्साहित करने का इरादा बताया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ एक चर्चा यह भी है कि सरकार ने स्टील प्लांट्स को मिलने वाली रियायत बढ़ाई तो उससे राजकोष पर पड़ने वाले बोझ की भरपाई इस तरह करने की तैयारी है।

