रायपुर। प्रदेश कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ सरकार के जमीन की गाइडलाइन दर 10 से 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के फैसले को पूरी तरह गलत और जनता विरोधी बताया है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि यह फैसला बहुत जल्दबाजी में लिया गया है। इससे आम आदमी को घर, दुकान या फैक्ट्री बनाना महंगा हो जाएगा। जमीन की खरीद बिक्री लगभग बंद हो जाएगी। इससे बेरोजगारी बढ़ेगी और प्रदेश में आर्थिक मंदी आएगी।
छत्तीसगढ़ में करीब आठ महीने की देरी के बाद नई कलेक्टर मार्गदर्शक दरें (गाइडलाइन वैल्यू) आज यानी 20 नवंबर 2025 से पूरे राज्य में लागू हो गई हैं। मूल योजना के अनुसार इन्हें 1 अप्रैल 2025 से ही लागू करना था, लेकिन संशोधनों की वजह से इसे टाल दिया गया था।
इस नए अपडेट में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई और अंबिकापुर जैसे प्रमुख शहरों में जमीनों के सरकारी रेट 10 प्रतिशत से लेकर दोगुने (100 प्रतिशत) तक बढ़ा दिए गए हैं। 2018-19 के बाद यह पहला मौका है जब इतने बड़े स्तर पर मार्गदर्शक दरों में बदलाव किया गया है।
नतीजतन, अब प्लॉट, अपार्टमेंट, फ्लैट और मकानों की रजिस्ट्री कराने की लागत सीधे तौर पर महंगी हो जाएगी, क्योंकि रजिस्ट्री शुल्क और स्टांप ड्यूटी दोनों सरकारी गाइडलाइन दर के आधार पर ही लगते हैं। खरीदार और विक्रेता दोनों को पहले की तुलना में काफी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
दरअसल, साल 2017-18 के बाद से छत्तीसगढ़ में जमीनों के सरकारी भाव लगभग जस के तस थे, जबकि बाजार में रियल एस्टेट की कीमतें तेजी से बढ़ी थीं। इस अंतर को कम करने के लिए राज्य सरकार ने अब यह कदम उठाया है। पंजीयन विभाग का कहना है कि इतने लंबे अंतराल के बाद दरों में सुधार जरूरी हो गया था ताकि सरकारी मूल्य और वास्तविक बाजार मूल्य में संतुलन बना रहे।
संक्षेप में, आज से छत्तीसगढ़ में कोई भी प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री पहले से कहीं ज्यादा महंगी पड़ने वाली है।
कांग्रेस ने क्या कहा?
राजीव भवन में हुई प्रेस वार्ता में शुक्ला ने बताया कि भाजपा सरकार आने के बाद सिर्फ दो साल में जमीन की सरकारी दर 40 से 130 प्रतिशत तक बढ़ गई है। जबकि देश के बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, पुणे, हैदराबाद में एक बार में सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत ही बढ़ोतरी होती रही है।
उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस सरकार ने गाइडलाइन दर में 30 प्रतिशत छूट दी थी और 5 डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री भी शुरू की थी। इससे रियल स्टेट सेक्टर में तेजी आई थी और कोरोना काल में भी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मजबूत रही।
अब मौजूदा सरकार ने छूट खत्म कर दी, छोटी जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी और अब गाइडलाइन दर भी अचानक बढ़ा दी। इससे गरीब लोग घर नहीं बना पाएंगे, किसानों की जमीन नहीं बिकेगी और रियल एस्टेट कारोबार पूरी तरह ठप हो जाएगा।
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार के पास पैसा नहीं है, इसलिए वह बिजली दर, स्टांप ड्यूटी और अब जमीन की गाइडलाइन दर बढ़ाकर जनता पर बोझ डाल रही है। यह फैसला किसानों, गरीबों और रियल एस्टेट से जुड़े लाखों लोगों के लिए बहुत नुकसानदेह है।

