नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
पहलगाम आतंकी हमलों के बाद मई महीने में भारत-पाकिस्तान सीमा संघर्ष के बाद , चीन ने अपने लड़ाकू विमान जे-35 के पक्ष में और भारत द्वारा इस्तेमाल किए गए फ्रांसीसी राफेल विमानों की बिक्री में बाधा डालने के लिए एक फेक न्यूज कैंपेन शुरू किया था।
यह रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछ रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि क्या प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय इस पर आपत्ति दर्ज कराएंगे और विरोध जताएंगे? यह रिपोर्ट भारत की कूटनीति को एक और बड़े झटके के समान है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अब तक 60 बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को रोक दिया था। प्रधानमंत्री इस बारे में पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं।

जिसमें चीन के हथियारों द्वारा नष्ट किए गए विमानों के कथित मलबे की एआई छवियों को प्रचारित करने के लिए फर्जी सोशल मीडिया खातों का उपयोग किया गया। यह दावा बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई नवीनतम यूएस-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने इस युद्ध में भारत को परास्त कर दिया।

अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई इस रिपोर्ट केमआयोग की अध्यक्ष रेवा प्राइस के शुरुआती बयान में कहा गया है, “राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि वे दुनिया को चीन पर और अधिक निर्भर बनाना चाहते हैं।” भारत और पाकिस्तान के बीच 7-10 मई की सैन्य कार्रवाई में चीन की भूमिका के बारे में रिपोर्ट कहती है कि इस झड़प ने दुनिया भर का ध्यान खींचा क्योंकि पाकिस्तान की सेना चीनी हथियारों पर निर्भर थी और कथित तौर पर चीनी खुफिया जानकारी का लाभ उठा रही थी।
भारतीय सेना ने दावा किया कि चीन ने संकट के दौरान भारतीय सैन्य ठिकानों पर लाइव इनपुट देकर पाकिस्तान की मदद की और संघर्ष को अपनी सैन्य क्षमताओं के परीक्षण के लिए प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया। पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया और चीन ने इसमें अपनी संलिप्तता की न तो पुष्टि की और न ही खंडन किया।
इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे चीन ने 2025 में पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य सहयोग का विस्तार किया, जिससे भारत के साथ उसके अपने सुरक्षा तनाव और बढ़ गए। रिपोर्ट कहती है कि बीजिंग ने अवसरवादी तरीके से इस संघर्ष का इस्तेमाल अपने हथियारों का परीक्षण और प्रचार करने के लिए किया, जो भारत के साथ चल रहे सीमा तनाव और उसके बढ़ते रक्षा उद्योग लक्ष्यों की वजह से था।
रिपोर्ट कहती है कि यह संघर्ष पहली बार था जब चीन की आधुनिक हथियार प्रणालियों, जिनमें HQ-9 वायु रक्षा प्रणाली, PL-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और J-10 लड़ाकू विमान शामिल हैं, का सक्रिय युद्ध में इस्तेमाल किया गया रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कथित तौर पर चीन ने जून 202 में पाकिस्तान को 40 J-35 पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, KJ-500 विमान और बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियाँ बेचने की पेशकश की थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्ष के बाद के हफ़्तों में, चीनी दूतावासों ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में अपने सिस्टम की सफलताओं की सराहना की और हथियारों की बिक्री बढ़ाने की कोशिश की।
इसमें कहा गया है कि फ्रांसीसी खुफिया जानकारी के अनुसार, चीन ने अपने जे-35 विमानों के पक्ष में फ्रांसीसी राफेल की बिक्री में बाधा डालने के लिए एक दुष्प्रचार अभियान शुरू किया।
नकली सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता और वीडियो गेम के ज़रिए चीन द्वारा नष्ट किए गए विमानों के कथित मलबे की तस्वीरें फैलाईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप, चीनी दूतावास के अधिकारियों ने इंडोनेशिया को पहले से चल रही राफेल जेट की खरीद रोकने के लिए मना लिया।

