रायपुर। 18 नवंबर 2025 को राजधानी रायपुर के दो इलाकों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम ने अचानक छापा मार दिया। सड्डू और खरोरा क्षेत्र में चल रही एक बिस्किट फैक्ट्री और एक मशरूम फैक्ट्री में कुल 109 बच्चे और किशोर मजदूरी करते पकड़े गए। इनमें 68 लड़कियाँ और 41 लड़के शामिल हैं। ज्यादातर बच्चे उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से लाए गए थे।
NHRC का कहना है कि सभी की उम्र 18 साल से कम है। बच्चों से दिन-रात काम करवाया जा रहा था और उन्हें ठीक से खाना-पानी तक नहीं दिया जाता था। छापे के दौरान जिला प्रशासन, पुलिस, श्रम विभाग और महिला-बाल विकास विभाग की टीमें भी मौजूद रहीं।
रेस्क्यू के बाद सभी बच्चों को बसों में बैठाकर माना स्थित शेल्टर होम में पहुँचाया गया है। उनके माता-पिता को बुलाया जा रहा है और जन्म प्रमाण-पत्र जैसे कागजात जाँचे जा रहे हैं। दिल्ली की मशहूर संस्था ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के सदस्य भी रायपुर पहुँच गए हैं और जाँच में मदद कर रहे हैं।
जुलाई में भी हो चुका है छापा, फिर भी नहीं सुधरे मालिक
चौंकाने वाली बात यह है कि खरोरा वाली मशरूम फैक्ट्री (जिसे पहले मोजो फैक्ट्री भी कहा जाता था) में जुलाई महीने में भी छापा पड़ चुका है। उस समय 97 से ज्यादा मजदूरों को छुड़ाया गया था। बच्चों ने बताया था कि उन्हें पीटा जाता है, महीनों तक तनख्वाह नहीं दी जाती और भागने की कोशिश करने पर धमकाया जाता था तब श्रम विभाग ने बकाया पैसा दिलवाकर बच्चों को घर भिजवाया था लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज तक उस मामले में एक भी FIR दर्ज नहीं हुई।
कहा जा रहा है कि एक फैक्ट्री का तार किसी बड़े राजनीतिक नेता से जुड़ा हुआ है इसी वजह से पहले की जाँच दबा दी गई थी। मीडिया में लगातार खबरें आने के बाद NHRC ने खुद मामले को गंभीरता से लिया और तीन महीने की जाँच के बाद सोमवार को दोबारा छापा मारा।
दोनों फैक्ट्रियाँ बंद, मालिकों पर हो सकती है जेल
NHRC ने दोनों फैक्ट्रियों को तुरंत बंद करने के आदेश दे दिए हैं। जाँच पूरी होने तक ताला लगा रहेगा।कानून क्या कहता है?14 साल से कम उम्र के बच्चे से कोई भी काम करवाना पूरी तरह गैर-कानूनी है। 14 से 18 साल के किशोरों को भी खतरनाक काम (जैसे रसायन, भट्ठे, फैक्ट्री की भारी मशीनें) नहीं करवाया जा सकता। बाल मजदूरी करवाने पर मालिक को 2 साल तक की जेल या 50 हजार रुपए तक जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।

