रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर धान खरीदी की तैयारियों में लापरवाही बरतने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने घोषणा तो कर दी है कि धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू होगी, लेकिन खरीदी से जुड़ी तमाम व्यवस्थाएं अब तक पूरी नहीं की गई हैं।
भूपेश बघेल ने कहा कि धान खरीदी के लिए टोकन वितरण शुरू होना चाहिए था, लेकिन अभी तक पोर्टल ही नहीं खोला गया है। उन्होंने यह भी कहा कि खरीदी प्रक्रिया में लगे कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिससे 15 नवंबर से खरीदी शुरू होना लगभग असंभव लग रहा है।
पूर्व सीएम ने कहा कि किसान पहले से ही डीएपी खाद की कमी और अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में सरकार की लापरवाही से किसानों की परेशानी और बढ़ गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि इस बार राज्य सरकार ने पिछले साल की तुलना में धान खरीदी का लक्ष्य भी कम रखा है और कृषि भूमि का रकबा भी घटाया गया है।
उन्होंने कहा कि हमारे शासन में धान खरीदी के बाद किसानों को तीन दिनों के भीतर भुगतान और मार्च तक पूरी खरीदी की लिफ्टिंग सुनिश्चित की जाती थी, लेकिन वर्तमान सरकार में स्थिति बेहद खराब है।
पूर्व सीएम बघेल ने कहा कि यह सरकार सहकारी समितियों को कमजोर करने की साजिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले साल खरीदा गया धान अब तक कई स्थानों पर नहीं उठाया गया है।
उन्होंने कहा कि अधिकारी राइस मिलरों पर दबाव बना रहे हैं कि वे खराब धान उठाएं, जबकि सरकार जमीनी हकीकत समझने को तैयार नहीं है।
भूपेश बघेल ने आगे कहा कि वे समितियों के कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करते हैं, क्योंकि सरकार खुद धान खरीदी को लेकर गंभीर नहीं है।
दिल्ली में धमाके खुफिया तंत्र की विफलता : बघेल
दिल्ली में हुए धमाके का जिक्र करते हुए बघेल ने कहा कि यह केंद्र की खुफिया तंत्र की विफलता का संकेत है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में भी इसी तरह की नाकामी देखने को मिली। यह देश का सबसे कमजोर गृह मंत्री है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक देश में कैसे आए।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की एजेंसियां विपक्षी नेताओं की जासूसी में लगी हुई हैं, जिसके कारण खुफिया नेटवर्क बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
छत्तीसगढ़ सरकार पर भी आरोप
बघेल ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में लगातार घटनाएं घट रही हैं, लेकिन विष्णु देव साय की सरकार जनता की बात सुनने को तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि जहां एक ओर नक्सली इलाकों से बाहर आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भूमाफिया अब बस्तर के जंगलों में घुसकर जमीनें खरीदने लगे हैं।

