भोपाल में दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समापन में मेहमानों के बीच खाने को लेकर मची लूट इतने बड़े आयोजन के कुप्रबंधन को भले ही दिखाती हो, दरअसल मसला इससे कहीं अधिक बड़ा और गंभीर है। बेशक, समिट के बाद बताया गया है कि इसमें 30 लाख 77 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन मध्य प्रदेश सहित पूरे देश के आर्थिक हालात और बाज़ार की जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयान कर रही है। बॉम्बे स्टाक एक्सचेंज का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी दोनों लगातार गिरावट दर्ज कर रहे हैं और ऐसा निवेशकों के बाज़ार से हाथ खींचने के कारण हो रहा है, जैसा कि हम यहां पहले भी लिख चुके हैं। तो फिर ये कौन से निवेशक हैं, जो मध्य प्रदेश में इतने बड़े बड़े प्रस्ताव लेकर दरवाजे पर खड़े हैं! यह जानने के लिए राकेट साइंस की जरूरत नहीं है कि चीन की अर्थव्यवस्था को उसके मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर ने मजबूती दी है, जहां भारत उसके मुकाबले बहुत पीछे है। अब तो खुद सरकार भी मेक इन इंडिया के शेर की चर्चा कम ही करती है। गजब यह है कि डेढ़ दो दशकों से विभिन्न राज्यों में भारी तामझाम के साथ इन्वेस्टमेंट समिट की जाती हैं, जिनमें राज्यों के अपने बजट से कई गुना ज्यादा के निवेश प्रस्ताव के दावे किए जाते हैं, लेकिन यह नहीं बताया जाता कि अब तक निवेश के कितने प्रस्ताव जमीन पर उतर चुके हैं।