- परिसीमन से तमिलनाडु की लोकसभा सीटें कम होने के संभावित खतरों पर बुलाई सर्वदलीय बैठक
- नई शिक्षा नीति के तहत राज्य में हिंदी थोपने का लगाया आरोप
चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राज्य के अधिकारों की बुनियाद पर ‘बड़े युद्ध’ का ऐलान कर कर दिया है। परिसीमन से लोकसभा सीटें कम होने के खतरे और हिंदी थोपने के विरोध के मुद्दे पर चर्चा के लिए स्टालिन ने 5 मार्च को 40 दलों की सर्वदलीय बैठक बुलाई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि राज्य एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां उसे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होना होगा।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने विशेष रूप से लोकसभा परिसीमन के संभावित खतरों पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि तमिलनाडु ने परिवार नियोजन नीतियों को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिससे राज्य की जनसंख्या वृद्धि नियंत्रित रही। अगर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन लागू किया जाता है, तो तमिलनाडु को 39 सांसदों में से 8 सीटें खोने का खतरा है, जिससे संसद में राज्य का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर राज्य में हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए कहा है कि यह एक और भाषा युद्ध का बीज बोने जैसा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु किसी विशेष भाषा के खिलाफ नहीं है, लेकिन मातृभाषा तमिल पर किसी अन्य भाषा के वर्चस्व को स्वीकार नहीं करेगा।
स्टालिन को क्यों है नुकसान का खतरा ?
स्टालिन का कहना है कि तमिलनाडु विकास के हर क्षेत्र में अग्रणी है, लेकिन जनसंख्या आधारित परिसीमन के चलते राज्य की लोकसभा सीटों में कमी आने की आशंका है। परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण के सफल प्रयासों की वजह से तमिलनाडु को 8 लोकसभा सीटें खोने का खतरा है। वर्तमान में राज्य के पास 39 सीटें हैं, जो परिसीमन के बाद घटकर 31 रह सकती हैं। इससे संसद में राज्य का प्रतिनिधित्व कमजोर होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, केंद्रीय निधि जैसी नीतियों पर भी सवाल उठाते हुए स्टालिन का तर्क है कि इन मामलों को संसद में प्रभावी ढंग से उठाने के लिए पर्याप्त सांसदों की जरूरत होगी। यदि जनसंख्या को आधार बनाकर परिसीमन किया जाता है तो राज्य के लोकसभा सांसदों की संख्या घटने का खतरा है।
दक्षिण बनाम उत्तर की बहस
स्टालिन का कहना है कि तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण की नीति का अच्छे से पालन किया है। क्या हमें इसके बदले में सीटें कम करके सजा दी जाएगी। वह डर दिखा रहे हैं कि यूपी, बिहार, राजस्थान, एमपी की सीटें बढ़ सकती हैं क्योंकि वहां जनसंख्या में वृद्धि है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि स्टालिन इसी बहाने दक्षिण बनाम उत्तर की बहस को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर तमिलनाडु में इस तरह की बहस को बल मिलता है तो इसका असर कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों पर भी पड़ सकता है।
40 दलों को बैठक के लिए बुलावा
स्टालिन ने राज्य के सभी 40 पंजीकृत राजनीतिक दलों को इस सर्वदलीय बैठक में शामिल होने का निमंत्रण दिया है। उन्होंने राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार करते हुए सभी दलों से एकजुट होकर राज्य के अधिकारों और प्रतिनिधित्व की रक्षा के लिए सहयोग करने की अपील की है।