खेल डेस्क। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया है। टीम इंडिया ने विमेंस वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हरा दिया है। टॉस हाकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने बेहतरीन बल्लेबाजी की बदौलत 50 ओवर में 298 रन बनाए थे। 299 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी साउथ अफ्रीका टीम 246 रन पर ऑलआउट हो गई।

भारतीय लड़कियों ने शानदार गेंदबाजी और अनुशासित प्रदर्शन के दम पर विपक्षी टीम को हरा दिया। साउथ अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी थी, लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने शुरू से ही आक्रामक रुख अपनाया। जवाब में साउथ अफ्रीका की टीम भारतीय गेंदबाजों के सामने लड़खड़ा गई।

भारत की जीत में सबसे बड़ी भूमिका ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा की रही, जिन्होंने पहले बल्लेबाजी में शानदार 58 रन बनाए और फिर गेंदबाजी में कमाल दिखाते हुए 42वें ओवर में दो बड़े विकेट झटके। उन्होंने साउथ अफ्रीका की सबसे बड़ी उम्मीद लौरा वोल्वार्ट (101 रन) और क्लो ट्रायोन (9 रन) को आउट कर भारत की वापसी कराई। दीप्ति ने 5 विकेट लिए और ऑलराउंडर खेल के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट दिया गया।
पार्ट टाइम स्पिनर शेफाली वर्मा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सुने लुस और मारिजान कैप को पवेलियन भेजा। शेफाली ने इससे पहले बल्लेबाजी में भी टीम के लिए सबसे अधिक 87 रन बनाए। वे प्लेयर ऑफ द मैच बनी।
भारतीय फील्डिंग भी लाजवाब रही। 10वें ओवर में अमनजोत कौर ने बेहतरीन डायरेक्ट हिट से ताजमिन ब्रिट्ज (23 रन) को रन आउट किया। वहीं श्री चरणी ने अनेके बॉश को LBW कर टीम को शुरुआती सफलता दिलाई।
पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया की टॉप ऑर्डर ने मजबूत नींव रखी। शेफाली वर्मा ने सबसे ज्यादा 87 रन की शानदार पारी खेली, जबकि दीप्ति शर्मा ने 58 रन जोड़कर अहम योगदान दिया।
अन्य बल्लेबाजों में स्मृति मंधाना (45), कप्तान हरमनप्रीत कौर (20), ऋचा घोष (34) और जेमिमा रोड्रिग्ज (24) ने भी छोटी लेकिन उपयोगी पारियां खेलीं।
भारत की विकेटकीपर बैटर ऋचा घोष ने फाइनल में दो छक्के लगाकर टूर्नामेंट में 12 सिक्स लगाकर एक विमेंस वर्ल्ड कप में लगाए गए सबसे ज्यादा छक्कों की बराबरी है। इससे पहले वेस्टइंडीज की डिएंड्रा डॉटिन (2013) और साउथ अफ्रीका की लिजेल ली (2017) ने भी 12-12 छक्के लगाए थे।
फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए दमदार प्रदर्शन किया और लक्ष्य दिया, जिसके जवाब में विपक्षी टीम रन बनाने के लिए संघर्ष करती रही। भारतीय गेंदबाजों ने सटीक लाइन-लेंथ पर गेंदबाजी करते हुए लगातार विकेट चटकाए।
इससे पहले भारतीय टीम 2005 में पहली बार फाइनल में पहुंची थी, लेकिन तब ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हरा दिया था। इसके बाद 2017 में भी भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी लेकिन तब इंग्लैंड से उसे हार का सामना करना पड़ा था।
यह भी पढ़ें : नफरत के दौर में रनों की दुकान

