नई दिल्ली। भारत सरकार ने बुधवार को प्रस्ताव दिया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सोशल मीडिया फर्मों को डीपफेक और गलत सूचना के प्रसार से निपटने के लिए AI-जनित सामग्री को स्पष्ट रूप से लेबल करना चाहिए।
लगभग 1 बिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ, कई जातीय और धार्मिक समुदायों वाले इस विशाल देश में दांव ऊंचे हैं, जहां फर्जी खबरों से घातक संघर्ष भड़कने का खतरा है और AI डीपफेक वीडियो ने चुनावों के दौरान भाजपा को चिंतित कर दिया है।
नए नियमों के तहत प्लेटफार्मों को AI-जनरेटेड सामग्री को मार्करों के साथ लेबल करना होगा, जो दृश्य प्रदर्शन के सतह क्षेत्र के कम से कम 10 फीसदी या ऑडियो क्लिप की अवधि के प्रारंभिक 10 फीसदी को कवर करेगा, जिससे ओपनएआई, मेटा, एक्स और गूगल जैसी कंपनियों पर अधिक जिम्मेदारियां आ जाएंगी।
सोशल मीडिया पर लगेंगे फ्लैग
सोशल मीडिया कंपनियों को इस बारे में उपयोगकर्ता से घोषणा पत्र भी प्राप्त करना होगा कि अपलोड की गई जानकारी एआई द्वारा उत्पन्न है या नहीं, तथा जांच और संतुलन सुनिश्चित करने के लिए उचित तकनीकी उपाय लागू करने होंगे।इस संबंध में जब ओपनएआई, गूगल और मेटा से समाचार एजेंसी रॉयटर्स से सवाल पूछे गए तो उन्होंने प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया।
महत्वपूर्ण है कि भारतीय अदालतें डीपफेक से जुड़े हाई-प्रोफाइल मुकदमों की सुनवाई कर रही हैं। बॉलीवुड स्टार अभिषेक बच्चन और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय बच्चन ने नई दिल्ली के एक न्यायाधीश से उनके बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन करने वाले एआई वीडियो को हटाने और उनके निर्माण पर रोक लगाने का अनुरोध किया है, और यूट्यूब की एआई प्रशिक्षण नीति को चुनौती दी है।
दुनिया में पहला देश बनेगा भारत
सार्वजनिक नीति अनुसंधान फर्म, इंडियन गवर्नेंस एंड पॉलिसी प्रोजेक्ट के संस्थापक साझेदार ध्रुव गर्ग ने कहा कि 10 फीसदी सतह क्षेत्र को कवर करने संबंधी नियम दुनिया में पहले होंगे।
उन्होंने कहा कि यदि नियमों को लागू किया जाता है, तो भारत में AI प्लेटफार्मों को एआई-जनित सामग्री की पहचान करने और निर्माण के बिंदु पर चिह्नित करने के लिए स्वचालित लेबलिंग प्रणाली बनाने की आवश्यकता होगी।
भारत AI फर्मों के लिए एक बड़े बाजार के रूप में उभर रहा है।ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने फरवरी में कहा था कि उपयोगकर्ताओं की संख्या के हिसाब से भारत उनका दूसरा सबसे बड़ा बाजार है, जो पिछले वर्ष में तीन गुना बढ़ गया है।

