रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सिटी कोतवाली थाने में मंगलवार शाम को एक शर्मनाक घटना ने पुलिस की साख पर गहरी चोट पहुंचाई है। ट्रिपल सवारी के आरोप में पकड़े गए नाबालिग लड़कों को कथित तौर पर पुलिस ने अमानवीय तरीके से कपड़े उतारकर लॉकअप में बंद कर दिया।
इसके बाद परिजनों ने थाने के बाहर हंगामा मचाया तो पुलिस ने चालान काट कर वापस भेज दिया।
इस घटना से पुलिस की कार्य शैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके अलावा नाबालिगों के अधिकारों का भी उल्लंघन माना जा रहा है, क्योंकि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत किसी भी तरह की कार्रवाई में लॉकअप में रखना ही सवालों के घेरे में है, ऐसे में लॉकअप में रखने के साथ कपड़े उतरवाकर बैठाना मानवीय अधिकारों के खिलाफ है।
मिली जानकारी के अनुसार, शाम करीब 5 बजे कोतवाली पुलिस ने शहर के एक व्यस्त इलाके से ट्रिपल सवारी करते हुए दो नाबालिग लड़कों को हिरासत में लिया। हिरासत में लेने की वजह बताई जा रही है कि रोकने के दौरान तीनों नाबालिग भागने लगे थे।
इस पर पुलिस ने उन्हें रोका और थाने लेकर आ गए। तलाशी के नाम पर कपड़े उतरवाए गए और फिर लॉकअप में बैठा दिया गया।
इस बात की खबर लगते ही परिजन थाने पहुंचे और हंगामा मचाया। परिजनाें के पहुंचने से पहले हंगामे की सूचना पुलिस को मिल गई तो अफसरों की फटकार के बाद स्टाफ ने उन्हें कपड़े पहनवा दिए।
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने नाबालिगों के साथ मारपीट भी की, जिससे वे घायल हो गए। हंगामे के दौरान परिजनों ने थाने के बाहर नारेबाजी की।
परिजनों ने बताया, ‘हमारे बच्चे अभी किशोर हैं, ट्रिपल सवारी का छोटा-मोटा उल्लंघन था। लेकिन पुलिस ने उन्हें अपराधी की तरह सलूक किया। कपड़े उतारना और लॉकअप में बंद करना क्या न्याय है? यह तो बच्चों के मन पर जख्म लगा देगा।’ ए
एक परिजन ने आंसू भरी आंखों से कहा कि पुलिस की यह कार्यशैली नाबालिगों को अपराध की ओर धकेलने वाली है, न कि सुधारने वाली।
यह घटना पुलिस विभाग की लापरवाही और अमानवीयता को आईना दिखाती है।
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत नाबालिगों के साथ सख्ती से पेश आने के बजाय काउंसलिंग और परिजनों को शामिल करने का प्रावधान है, लेकिन यहां मानवीय गरिमा का भी ध्यान नहीं रखा गया।
विगत वर्षों में छत्तीसगढ़ पुलिस पर नाबालिगों के साथ दुर्व्यवहार के कई आरोप लग चुके हैं, लेकिन सुधार की कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

