CG Bijli Employees Strike: छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी के मुख्यालय के बाहर बिजली कर्मचारियों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा। विद्युत कर्मचारी महासंघ का क्रमिक धरना मंगलवार को लगातार पांचवें दिन चलता रहा। अपनी मांगों को लेकर शुरू हुआ यह प्रदर्शन अब कंपनी प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच टकराव का रूप ले चुका है। प्रबंधन ने आंदोलन को दबाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं जिसमें कर्मचारियों को नौकरी में ‘ब्रेक’ की चेतावनी दी गई है।
ट्रांसमिशन कंपनी के मानव संसाधन (एचआर) विभाग के मुख्य अभियंता ने सभी विभागों को एक आधिकारिक पत्र भेजा है। इसमें साफ कहा गया कि 10 अक्टूबर से शुरू हुए अनिश्चितकालीन धरने में शामिल होना गैरकानूनी है। पत्र में तीनों बिजली कंपनियों (उत्पादन, पारेषण और वितरण) के प्रमुखों को निर्देश दिए गए हैं कि धरने पर बैठने वाले कर्मचारियों की अनुपस्थिति को मंजूर नहीं किया जाएगा।
कंपनी का कहना है कि सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक का यह धरना कामकाज के समय में हो रहा है, इसलिए इसमें भाग लेने वालों का वेतन काटा जाएगा। न सिर्फ धरने के दिन, बल्कि सामूहिक छुट्टी या हड़ताल के दौरान गैरहाजिर रहने पर भी कोई सैलरी नहीं मिलेगी। सबसे बड़ी सजा यह कि इन दिनों को ‘सर्विस में ब्रेक’ माना जाएगा यानी कर्मचारी की नौकरी की निरंतरता टूट जाएगी और भविष्य में कोई लाभ नहीं मिलेगा।
कर्मचारियों की सूची मांगी
कार्रवाई के आदेशपत्र में विभागीय प्रमुखों से कहा गया है कि धरने में शामिल हर कर्मचारी का नाम, पद और कार्यालय की डिटेल मुख्यालय भेजें। पहले जारी नियमों के मुताबिक इन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। साथ हीअनुपस्थित कर्मचारियों का वेतन तुरंत रोका जाए और इसकी रिपोर्ट एचआर को दी जाए। कंपनी का तर्क है कि यह कदम आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है ताकि बिजली सप्लाई प्रभावित न हो।
महासंघ के नेता इस पत्र को ‘दबाव की रणनीति’ बता रहे हैं। महासंघ के अध्यक्ष हरिचरण साहू ने द लेंस को बताया कि “कर्मचारी लंबे समय से वेतन वृद्धि, पेंशन सुधार और काम की बेहतर सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन सुनवाई नहीं कर रहा। सैकड़ों कर्मचारियों की हालत खराब है, रोज कर्मचारियों के हाथ पैर कट रहें हैं और हॉस्पिटल पहुँच रहें हैं लेकिन कंपनी ने चुप्पी साध ली है। अगर इसी तरह कंपनी का रवैया रहा तो आगे भी आंदोलन जारी रहेगा।” यह धरना महासंघ की ओर से अपनी पुरानी मांगों को लेकर शुरू किया गया था, जिसमें पुरानी पेंशन योजना बहाल करना और बकाया भत्ते शामिल हैं।

