मध्य प्रदेश में जहरीली Cough Syrup दवा से जुड़े मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से एक प्रमुख फार्मास्युटिकल कंपनी के निदेशक को गिरफ्तार कर लिया है।
इस घटना ने पूरे देश में दवाओं की गुणवत्ता और नियामक तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, इस खतरनाक सिरप के सेवन से अब तक 24 बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि दर्जनों अन्य प्रभावित है।
यह मामला पिछले कुछ महीनों से सुर्खियों में है जब मध्य प्रदेश के कई जिलों में बच्चों की अचानक मौतों की खबरें आने लगीं। प्रारंभिक जांच में पता चला कि कई बच्चे एक ही ब्रांड की खांसी की सिरप का सेवन कर रहे थे जो बाजार में आसानी से उपलब्ध थी।
चिकित्सकों ने पुष्टि की कि दवा में मौजूद विषैले तत्वों के कारण सांस लेने में तकलीफ, उल्टी और हार्ट पल्स रुकने जैसी समस्याएं हो रही थीं। मृतकों में अधिकांश 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, जो इस दवा को सामान्य सर्दी-खांसी के इलाज के लिए ले रहे थे।
प्रभावित जिलों में इंदौर, भोपाल और उज्जैन प्रमुख हैं, जहां सरकारी अस्पतालों में भर्ती बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी। स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल इस दवा को बाजार से वापस बुलाने का आदेश जारी किया था लेकिन तब तक कई परिवार अपनी संतान खो चुके थे।
इस मामले की जांच करने वाली रही है एसआईटी की टीम ने चेन्नई में छापेमारी की। निदेशक, जिनका नाम रंगनाथन बताया जा रहा है, कंपनी के उत्पादन और वितरण के प्रमुख थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वे जांच एजेंसियों से बचने के लिए दक्षिण भारत चले गए थे। गिरफ्तारी के दौरान उनके पास से दवा निर्माण से जुड़े दस्तावेज और ईमेल रिकॉर्ड बरामद हुए जो कथित तौर पर गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन हैं।
रंगनाथन को मध्य प्रदेश लाकर पूछताछ की जाएगी। प्रारंभिक बयानों में उन्होंने दवा में इस्तेमाल हुए कच्चे माल की खरीद पर सवाल उठाए जाने की बात कही है लेकिन जांचकर्ता इसे बहाना मान रहे हैं।
एसआईटी का मानना है कि कंपनी ने सस्ते विकल्पों का इस्तेमाल कर लाभ कमाने की कोशिश की जिससे यह घातक साबित हुई।
इस मामले में एसआईटी ने कंपनी के भोपाल स्थित प्लांट पर भी छापा मारा था, जहां से नमूने एकत्र किए गए। फॉरेंसिक लैबोरेटरी की रिपोर्ट में दवा में एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे हानिकारक रसायनों की मौजूदगी की पुष्टि हुई है, जो साधारण सर्दी के इलाज के लिए घातक है। केंद्र सरकार की ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भी इसकी निगरानी की है और समान दवाओं पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है।