जगदलपुर। बस्तर के लिए 4 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक रहा। बस्तर दशहरा के दौरान आयोजित मुरिया दरबार में पहली बार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शामिल हुए। उनके साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी मौजूद थे। मुरिया दरबार में करेकोट के परगना मंगलू मांझी ने इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित बोधघाट परियोजना को लेकर तीखे शब्दों में अपनी बात रखी और सैकड़ों प्रभावित गांवों की व्यथा को बयान किया।

मंगलू मांझी ने गृहमंत्री और मुख्यमंत्री के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे क्षेत्र में बोधघाट परियोजना के कारण डेढ़ सौ गांव डूब जाएंगे। ऐसे में जनता कहां जाएगी, क्या खाएगी? हम पीढ़ी दर पीढ़ी यहां रहते आए हैं और सरकार हमें विस्थापित करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि आज केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री यहां आए हैं, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि इस पर सोचें। बांध कहां बनेगा और हमें कहां भगाया जाएगा? हम पीढ़ियों से यहां रहने वाले कहां जाएंगे? ये कैसा हिसाब है? हर सरकार आती है और बांध बनाने की बात करती है। सरकार का काम गांव बसाना है, लेकिन ये कैसी सरकार है जो हमें चोरों की तरह भगाना चाहती है?”
मंगलू मांझी की इस भावुक अपील के बावजूद उन्हें कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला। स्थानीय विधायक ने केवल इतना कहा कि मामले को देखा जाएगा। बोधघाट परियोजना को लेकर स्थानीय लोगों की चिंताएं और असंतोष अब भी बरकरार हैं।