नेशनल ब्यूरो। नई दिल्ली
केंद्र सरकार की हरी झंडी के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार ने शनिवार को कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि प्रयोगशाला परीक्षणों में छिंदवाड़ा जिले में नौ बच्चों की मौत से जुड़े उसी बैच से एकत्र किए गए नमूनों में अत्यधिक जहरीले रसायन, डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) की मौजूदगी की पुष्टि हुई ।
इसके पहले बच्चों की मौत के मामले को संज्ञान में लेते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी कर कहा कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं न दी जाएं। लेकिन उसने किसी मिलावट और प्रतिबंध की बात नहीं की।
केंद्र के आदेश के बावजूद एमपी में प्रतिबंध
मध्य प्रदेश के औषधि नियंत्रक ने कहा कि तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में श्रीसन फार्मास्युटिकल द्वारा निर्मित सिरप को तमिलनाडु औषधि नियंत्रण निदेशालय की 2 अक्टूबर की एक परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर “गैर-मानक और दोषपूर्ण (एनएसक्यू)” पाया गया। जिसके आधार पर यह कार्रवाई की जा रही है।
जयपुर में भी कार्रवाई
इस बीच, दिल्ली और चेन्नई के औषधि नियंत्रण अधिकारियों ने कांचीपुरम स्थित एक दवा संयंत्र में निर्माण इकाई की जांच की। वहीं राजस्थान सरकार ने राज्य औषधि नियंत्रक को निलंबित कर दिया है। साथ ही जयपुर स्थित कंपनी केसन्स फार्मा द्वारा निर्मित दवाओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
तामिलनाडु ने भी लगाए प्रतिबंध
तमिलनाडु सरकार ने कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही बाजार से इसे हटाने का आदेश भी जारी किया गया। खाद्य सुरक्षा विभाग ने बताया कि 1 अक्टूबर से राज्य में इसका निर्माण और बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। कांचीपुरम जिले के उत्पादन प्लांट का निरीक्षण कर सैंपल कलेक्ट किए गए। सरकारी लैब से टेस्टिंग के बाद रिपोर्ट आने तक कंपनी को इस सिरप के उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दी गई है।