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लेंस संपादकीय

जुबीन गर्ग की विरासत

Editorial Board
Last updated: October 3, 2025 10:12 pm
Editorial Board
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जुबीन गर्ग
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असम के लोकप्रिय गायक-संगीतकार जुबीन गर्ग की पखवाड़े भर पहले 19 सितंबर को सिंगापुर में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत जितनी दुखद है, उस पर गहराता रहस्य उतना ही पीड़ादायक है। असम पुलिस ने उनकी टीम से जुड़े रहे कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें नार्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के आयोजक और जुबीन के मैनेजर भी शामिल हैं।

शुरू में जुबीन की मौत को स्कूबा डाइविंग के दौरान ‘डूबने’ से हुआ हादसा बताया गया था, लेकिन उनकी पत्नी और उनके परिजन शुरू से उनकी मौत को असामान्य बता रहे थे। जाहिर है, समकालीन असम को अपने गीतों से स्पंदित करने वाले जुबीन के साथ जो कुछ भी हुआ, वह सामने आना ही चाहिए और उस पर किसी तरह की लीपापोती नहीं होनी चाहिए। अपनी मिट्टी में रचे-बसे एक गायक की मौत पर जिस तरह पूरा असम गहरे शोक में डूबा हुआ है, ऐसे दृश्य कम ही नजर आते हैं।

छात्र आंदोलन, अलगाववादी हिंसा और उसके बाद सांप्रदायिक तनाव का लंबा दौर देख चुके असम को जिस तरह से जुबीन गर्ग ने अपने गीतों और अपने सामाजिक सरोकारों से जोड़ा है, वह सचमुच विलक्षण है। यों तो जुबीन अपने आपमें अनूठे थे, लेकिन असम के जनमानस औऱ लोक में उनकी उपस्थिति को आंकने का कोई पैमाना हो सकता है, तो वह भारत रत्न भूपेन हजारिका की लोकप्रियता ही हो सकती है, जिनके गीतों में असम और पूर्वोत्तर का दर्द झलकता है।

छह साल पहले 2019 में असम में सीएए ( नागरिकता संशोधन कानून) के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर थे, तब भूपेन हजारिका और जुबीन गर्ग के गीत ही लोगों की जुबान पर विरोध का स्वर बन कर गूंज रहे थे। बल्कि हकीकत तो यह भी है कि जुबिन इस आंदोलन का हिस्सा थे और यही बात उन्हें बहुत से गायकों से अलग कर देती थी। यह लड़ाई उनके लिए असम की अस्मिता की लड़ाई थी और तब उन्होंने कहा था, संस्कृति किसी भी व्यक्ति या समुदाय की पहचान है औऱ यह आंदोलन हमारी असमिया पहचान से प्रेरित है।

यह अकारण नहीं है कि बॉलीवुड में अपने गीतों के जरिये अच्छी खासी जगह बना लेने के बावजूद जुबीन अंततः असम को ही चुना। उनके लिए असमिया पहचान का मतलब वहां के रहने वाले सभी समुदायों की पहचान से था, इसलिए वे सत्ता की आंखों में खटकते भी थे। पर .यह उनके गीतों की ताकत और उनका सम्मोहन था कि लोग उनकी ओर खिंचे चले आते थे।

यही वजह है कि उनकी मौत ने समूचे असम को स्तब्ध कर दिया। निस्संदेह उनकी मौत की असली वजहें सामने आनी चाहिए और इसके साथ यह सुनिश्चित किए जाने की भी जरूरत है कि असम को एक सूत्र में जोड़ने वाली उनकी विरासत ऐसे ही जाया न हो।

यह भी पढ़ें: संघ के सौ साल, कितनी बदली चाल

TAGGED:assam zubeen gargzubeen garg death casezubeen garg editorialजुबीन गर्ग
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