द लेंस डेस्क। परफियोस और पीडब्ल्यूसी इंडिया ने मिलकर एक रिपोर्ट जारी की है जिसका शीर्षक है ‘हाउ इण्डिया स्पेंड्स : अ डीप डाइव इनटू कंस्यूमर स्पेंडिंग बिहेवियर’। इस रिपोर्ट में 30 लाख से अधिक तकनीकी रूप से सक्षम उपभोक्ताओं के खर्च व्यवहार का विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के नौकरीपेशे की सैलरी का 33 फीसदी हिस्सा सैलरी में खर्च हो रहा है। सभी शहरों में, व्यक्ति अपनी आय का 33% से अधिक हिस्सा ईएमआई पर खर्च कर रहा है।
- इसके अलावा भी कई तथ्य सामने आए हैं।
- कुल खर्च का 39% अनिवार्य खर्चों पर, 32% आवश्यकताओं पर कर रहा है।
- आय बढ़ने के साथ-साथ भोजन संबंधी खर्चों में बढ़ोतरी कर रहा है,जैसे बाहर खाना या ऑर्डर करना।
- ऑनलाइन गेमिंग में नौकरीपेशा वर्ग भी लगातार खर्च कर रहा है, जो 22% है, लेकिन जैसे-जैसे आय और बढ़ता जाता है उसके साथ ही ये घटकर 12% पर आ जाता है।
- अनिवार्य खर्चों के लिए ये वर्ग इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस का सबसे ज्यादा उपयोग कर रहा है लेकिन आवश्यक खर्चों के लिए यूपीआई सबसे पसंदीदा तरीका है।
- टियर-2 शहरों में औसतन घर का किराया टियर-1 शहरों की तुलना में 4.5% अधिक है।
- टियर-2 शहरों में लोग चिकित्सा खर्चों पर 20% अधिक खर्च कर रहें हैं जो औसतन 2,450 रुपये प्रति माह है जबकि मेट्रो शहरों में यह औसतन 2,048 रुपये प्रति माह है।
इस रिपोर्ट के माध्यम से, वित्तीय संस्थाओं और नीति निर्माताओं को बदलती अर्थव्यवस्था और तौर-तरीकों को समझने में सहायता मिलेगी, दूसरी ओर नौकरीपेशा वर्ग अपनी आय के अनुसार खर्चों को संतुलित कर पाएगा।