लेंस डेस्क। तमिलनाडु के करूर में अभिनेता और टीवीके प्रमुख विजय की रैली के दौरान हुई भगदड़ में 33 लोग मारे गए हैं। हादसा बेकाबू हुई भीड़ की वजह से हुआ बताया जा रहा है।
भीड़ इतनी ज्यादा थी कि संभली नहीं जा सकी। लोग एक दूसरे पर गिरते गए बेहोश होते गए। 58 लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें से 46 लोग निजी अस्पतालों में और बाकी सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। घायलों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने करूर में अतिरिक्त डॉक्टरों को भेजने का निर्देश दिया है। सलेम और नमक्कल से मेडिकल टीमें करूर रवाना की गईं, जबकि त्रिची और सलेम से 40 से अधिक डॉक्टरों ने घटनास्थल पर पहुंचकर लोगों को बचाने की कोशिश की। स्टालिन रविवार को घटनास्थल का दौरा कर सकते हैं।

रैली में कई लोग बेहोश हो गए, जिसके बाद कार्यकर्ताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया। विजय ने स्थिति को देखते हुए अपना भाषण रोक दिया और अपनी प्रचार बस से पानी की बोतलें फेंकना शुरू किया।
हालांकि, भारी भीड़ के कारण एंबुलेंस को मौके पर पहुंचने में काफी मुश्किल हुई। बेहोश लोगों को नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया, जहां कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। विजय ने बिगड़ती स्थिति को भांपकर अपना भाषण जल्दी खत्म कर दिया।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस घटना पर दुख जताया और सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्होंने पूर्व मंत्री वी. सेंथिलबालाजी, स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमणियन और जिला कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि बेहोश हुए लोगों को तुरंत चिकित्सा सुविधा दी जाए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस हादसे पर गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि मासूमों की जान जाना बेहद दुखद है। उन्होंने घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की और कहा कि ऐसे हादसे भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की सख्ती की जरूरत को दर्शाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर शोक जताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि करूर में रैली के दौरान हुआ हादसा बहुत दुखद है। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के जल्द ठीक होने की कामना की। इस हादसे के बाद सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन में खामियों पर सवाल उठ रहे हैं।

राजनीतिक हलकों में भी इस घटना पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। डीएमके से जुड़े सरव ने आयोजकों पर लापरवाही का आरोप लगाया और इसे आपराधिक गलती बताया।
वहीं, भाजपा नेता टॉम वडक्कन ने इसे राजनीति का समय नहीं, बल्कि शोक और जिम्मेदारी का वक्त बताया। राजनीतिक विश्लेषक सुमंत रमन ने इस हादसे को बड़ी त्रासदी करार देते हुए कहा कि विजय की रैलियों में हमेशा भारी भीड़ होती थी, इसलिए यह हादसा अप्रत्याशित नहीं था। उन्होंने जिम्मेदार लोगों को सख्त सजा देने की मांग की।
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