नई दिल्ली। लद्दाख के जलवायु व समाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल स्थानांतरित कर दिया गया है। जेल के बाहर उनके समर्थकों ने आज प्रदर्शन किया और भूख हड़ताल की चेतावनी दी। यह कार्रवाई लद्दाख को पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद की गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।
वहीं दूसरी तरफ अब लद्दाख के डीजीपी ने बड़ा बयान दिया हैं। उन्होंने कहा है कि सोनम वांगचुक के पाकिस्तानी लिंक की जांच की जा रही है। वांगचुक के समर्थकों दिल्ली में कैंडल मार्च निकाला। लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन ने 29 सितंबर को केंद्र से बातचीत की योजना बनाई है।
डीजीपी ने बताया कि 24 सितंबर को हुई हिंसा में 17 सीआरपीएफ जवान और 70 से अधिक नागरिक घायल हुए। उन्होंने दावा किया कि एक पाकिस्तानी मूल के व्यक्ति (PIO) के सोनम वांगचुक से संपर्क की जानकारी सामने आई है, जिसे हिरासत में लिया गया है।
लद्दाख पुलिस प्रमुख एसडी सिंह जामवाल ने वांगचुक की गिरफ्तारी को उचित ठहराया है। उनके अनुसार, वांगचुक के नेतृत्व वाले मंच ने हिंसा को बढ़ावा देने का काम किया। जामवाल ने कहा कि जांच में वांगचुक की विदेश यात्राओं, खासकर इस्लामाबाद में कुछ अधिकारियों से कथित मुलाकातों की जानकारी मिली है।
डीजीपी ने इसे सुनियोजित साजिश करार देते हुए कहा कि तनाव को नियंत्रित करने के लिए उनकी गिरफ्तारी जरूरी थी। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार पहले से ही लेह के सर्वोच्च निकाय और केडीए के साथ बातचीत कर रही है, लेकिन वांगचुक की छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग प्रक्रिया को जटिल बना रही है।
डीजीपी ने यह भी खुलासा किया कि वांगचुक के खिलाफ विदेशी फंडिंग और एफसीआरए नियमों के उल्लंघन की जांच चल रही है। उनके मुताबिक, वांगचुक ने केंद्र और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच होने वाली चर्चा को बाधित करने की कोशिश की। 25 सितंबर को एक अनौपचारिक बैठक होनी थी, लेकिन उससे पहले भड़काऊ वीडियो और बयानों ने हिंसा को हवा दी।
लेह में तीन दिन बाद कर्फ्यू में ढील
हिंसा प्रभावित लेह में शनिवार को तीन दिन बाद पहली बार कर्फ्यू में ढील दी गई। पुराने शहर में दोपहर 1 से 3 बजे और नए इलाकों में 3:30 से 5:30 बजे तक चार घंटे की छूट दी गई। इस दौरान लोग जरूरी सामान और एटीएम से पैसे निकालने के लिए कतार में दिखे। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बीच कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
डीजीपी जामवाल ने बताया कि यह निर्णय उपराज्यपाल की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद लिया गया। हिंसा बुधवार को शुरू हुई, जब लेह एपेक्स बॉडी द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान स्थिति बिगड़ गई। यह बंद लद्दाख में छठी अनुसूची लागू करने और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर था।
देखते ही देखते हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और 90 से अधिक घायल हुए। इसके बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लागू कर दिया गया। प्रशासन ने शुक्रवार देर रात कहा कि वांगचुक के उत्तेजक बयानों और नेपाल आंदोलन जैसे उदाहरणों ने हिंसा को बढ़ावा दिया।
उपराज्यपाल ने क्या कहा?
उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने हिंसा को विदेशी साजिश से जोड़ा और बताया कि तीन नेपाली नागरिक गोली लगने से घायल हुए हैं। कुछ अन्य बाहरी लोगों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। पुलिस ने अब तक 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है, जिनमें छह को मुख्य आरोपी माना जा रहा है। एक स्थानीय पार्षद पर भी हिंसा भड़काने का आरोप है, जिसकी तलाश जारी है।
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