नई दिल्ली। कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने शुक्रवार को केंद्र को निर्देश दिया कि पश्चिम बंगाल के उन दो परिवारों के सभी छह सदस्यों को वापस लाया जाए, जिन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट किया गया था। 6 लोगों में एक गर्भवती महिला और दो नाबालिग भी शामिल हैं।
इन्हें जून में दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी होने के संदेह में हिरासत में लिया गया था। इसके बाद विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी के आदेश पर निर्वासित किया गया था।
उच्च न्यायालय ने केंद्र को पश्चिम बंगाल के दो परिवारों के छह सदस्यों को वापस लाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।
परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों में से एक ने बताया कि न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और रीताब्रत कुमार मित्रा की खंडपीठ ने केंद्र को गर्भावस्था के आठवें महीने में चल रही सुनाली खातून, उसके पति दानिश शेख, उनके नाबालिग बेटे साबिर शेख और एक अन्य दंपति स्वीटी बीबी और कुर्बान शेख और उनके नाबालिग बेटे इमाम दीवान को वापस लाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम के हैं दोनों परिवार
दोनों परिवार पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रहने वाले हैं। जुलाई में शुरू हुई सुनवाई के दौरान, उनके वकील रघुनाथ चक्रवर्ती ने रिकॉर्ड पेश किए थे, जिसमें दावा किया गया था कि 1971 में बांग्लादेश के अस्तित्व में आने से कम से कम 20 साल पहले से ही इन परिवारों के पास बीरभूम में ज़मीन थी। 11 जुलाई को, पीठ ने दिल्ली सरकार से रिपोर्ट माँगी और सुनवाई जारी रही।
अदालत को बताया गया कि दोनों परिवारों को 24 जून को दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र से केवल इसलिए हिरासत में लिया गया क्योंकि वे बंगाली बोलते हैं, और 26 जून को पश्चिम बंगाल सरकार को सूचित किए बिना उन्हें सीमा पार भेज दिया गया, हालांकि दोनों परिवारों के सदस्यों ने आधार कार्ड जैसे पहचान दस्तावेज दिखाए थे।
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