नई दिल्ली। राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक की आलंद सीट में मतदाताओं के नाम डिलीट किए जाने के मामले की चुनाव आयोग ने पुष्टि की है। आयोग का कहना है कि आयोग द्वारा मतदाता सूची में से 2022 के दौरान 6018 नाम डिलीट किए जाने के आवेदन मिले थे जिनमें से केवल २४ आवेदन सही पाए गए जिन्हें डिलीट कर दिया गया।
वहीं बाकी के आवेदनों को रिजेक्ट करके हमने उन्हें डिलीट करने के अनुरोध को नामंजूर कर दिया। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने भी बड़ी संख्या में नाम डिलीट किए जाने को लेकर आज प्रेस कांफ्रेंस की थी और कहा था कि यह किसी आटोमोटेड प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर के माध्यम से हो रहा है।

चुनाव आयोग ने राहुल की प्रेस कांफ्रेंस का जवाब देते हुए कहा है कि हमें जब बीएलओ के माध्यम से गड़बड़ी की सूचना मिली थी तो हमने एफआईआर करा दी थी। कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने कहा है कि वोटरों को हटाने के प्रयासों में संबंध ईसीआई के उपलब्ध सभी जानकारी 6 सितंबर 2023 को कलबुरी के पुलिस अधीक्षक के साथ साझा की जा चुकी है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि उन्हें डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट का एड्रेस नहीं दिया जा रहा है जिससे यह पता लग सके कि किस जगह से वोटरों के नाम डिलीट करने की कोशिशें की गई थी। महत्वपूर्ण है कि दिल्ली चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी भी भाजपा पर बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट से नाम कटवाने के आरोप लगा चुकी है।
कर्नाटक पुलिस क्यों नहीं कर सकी राजफाश
इस पूरे मामले पर द रिपोर्टर्स कलेक्टिव के संपादक नितिन सेठी कहते हैं कि अब तो पूरा मामला कर्नाटक पुलिस के पास है वह चाहे तो आसानी से पता लगा सकती है कि यह सारे आईपी एड्रेस कहां के हैं यह किसी मोबाइल नंबर को ट्रेस करने जैसा है यह चुनाव आयोग के माध्यम से संभव भी नहीं है इस मामले में मोबाइल फ़ोन ऑपरेटर ही कुछ कर सकते हैं।
नितिन कहते हैं कि यह नाम हटाने वाले खेल हर एक चुनाव में होता है जहां जो बाहुबली या मजबूत होता है, वहां पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की जाती रही है। चुनाव आयोग का कहना है कि इस मामले में करांतक के मुख्य चुनाव अधिकारी, करंटक सीआईडी के अधिकारियों की साइबर एक्सपर्ट्स की मौजूदगी में बैठक भी हो चुकी है।
कांग्रेस ने कहा हमारे दबाव में की गई एफआईआर
इस बीच कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा है कि मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं के लिए एफआईआर तभी दर्ज की गई जब कांग्रेस उम्मीदवार बीआर पाटिल ने चुनाव आयोग के समक्ष सैकड़ों याचिकाएं दायर कीं। उन्होंने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि चुनाव आयोग सीआईडी की जांच में सहयोग नहीं कर रहा है?
क्या यह सच नहीं है कि 18 बार याद दिलाने के बाद भी चुनाव आयोग सीआईडी की माँगों पर कोई जवाब नहीं दे रहा है? क्या यह सच नहीं है कि चुनाव आयोग रंगे हाथों पकड़ा गया है? कांग्रेस मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख से जब इन चुनावों में कांग्रेस की जीत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह चुनावी हार या जीत का मामला नहीं है, बल्कि चुनावी शुचिता का मुद्दा है, जिसके लिए यह सबसे पुरानी पार्टी हमेशा खड़ी रही है।
उन्होंने आगे कहा, “यह जीत या हार का मामला नहीं है। कांग्रेस चुनाव जीती और अगर कोई गड़बड़ी न हुई होती, तो उसकी जीत का अंतर 10,000 वोटों से ज़्यादा हो सकता था। चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और किसी भी तरह की खामी से मुक्त होनी चाहिए, मतदाता सूची साफ़-सुथरी होनी चाहिए।”
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