रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाले में खाद्य विभाग के तात्कालीन सचिव और रिटायर्ड आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला के घर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम पहुंच गई है। उन्हें गिरफ्तार किए जाने की चर्चा है। सुप्रीम कोर्ट से नान घोटाला केस में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से डॉ. शुक्ला और अनिल टुटेजा को मिली अग्रिम जमानत को रद्द कर दिया है। ईडी इस आदेश के एक दिन बाद उनके बंगले पहुंच गई है।
ईडी ने भिलाई के डॉ. आलोक शुक्ला के निवास पर सुबह पहुंची और छानबीन शुरू कर दी। थोड़ी देर में ही उन्हें विधिवत गिरफ्तार कर ईडी कोर्ट में पेश करने का दावा ईडी के सूत्रों ने किया है।
सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दोनों अधिकारियों को पहले दो हफ्ते ईडी की कस्टडी में रहना होगा। उसके बाद दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें जमानत मिल सकेगी। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपियों ने 2015 में दर्ज नान घोटाला मामले और ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी।
नान घोटाला जब सामने आया था, तो आलोक शुक्ला खाद्य विभाग के सचिव थे। उन्हें भी आरोपी बनाया गया था और दिसंबर 2018 को उनके खिलाफ कोर्ट में ईओडब्ल्यू ने चार्जशीट पेश किया था। इसके बाद 2019 को आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी।
अग्रिम जमानत मिलने के बाद दोनों अफसरों को कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में पॉवरफुल पोस्टिंग मिली। इस पोस्टिंग के दौरान ईओडब्ल्यू की नान घोटाले की जांच को प्रभावित करने का आरोप दोनों अफसरों पर लगा था।
इसी मामले में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ भी ईडी ने एफआईआर की थी। हालांकि सतीश चंद्र वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है।
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