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अन्‍य राज्‍य

सीएम ममता के नए कानून में ऐसा क्‍या है कि कंपनियां पहुंच गईं कोर्ट?

Lens News
Last updated: September 17, 2025 8:10 pm
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Mamata Banerjee
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लेंस डेस्‍क। उद्योग प्रोत्साहन के लिए मिलने वाली रियायतों को बैक डेट से खत्‍म किए जाने पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ कंपनियों ने कोर्ट का रुख किया है। अल्‍ट्राटेक, ग्रासिम और डालमिया सहित कई कंपनियों ने कोलकाता उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है और इस बिल को “असंवैधानिक” बताया है।

उद्योगों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं और अनुदान को रद्द करने वाला विधेयक इसी साल मार्च में  पश्चिम बंगाल की विधानसभा में पारित किया गया था, जिसे राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद 2 अप्रैल को अधिसूचित कर दिया गया है। यह कानून 1993 से दी गई सभी औद्योगिक रियायतों को उनके लागू होने की तारीख से पीछे की तारीख से समाप्त करता है।

अल्ट्राटेक सीमेंट, इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, नुवोको विस्टास और डालमिया सीमेंट जैसे प्रमुख औद्योगिक घरानों ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की है। हालांकि कंपनियों ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं, लेकिन अदालत इन सभी को 7 नवंबर को एक साथ सुनेगी।

द न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग की याचिका में मांग की गई है कि इस कानून को “असंवैधानिक और अवैध” घोषित किया जाए और इसके प्रावधानों को “निष्प्रभावी” माना जाए।

इस कानून में कहा गया है कि “इस विधेयक का उद्देश्य राज्य के वित्त को सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए उपलब्ध कराना है, जो पश्चिम बंगाल में सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित और हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए बनाई गई हैं और कार्यरत हैं। इसका मकसद ऐसी योजनाओं पर खर्च करना है, न कि विशेष सहायता, वित्तीय प्रोत्साहन, राज्य समर्थन, लाभ, रियायतें या विशेष सुविधाएं प्रदान करना, जो हाशिए पर रहने वालों की कीमत पर दी जाएं।”

राज्य सरकार पहले करों, जमीन खरीद और पंजीकरण, बिजली, ब्याज भुगतान आदि पर सब्सिडी देती थी। कानून में यह भी कहा गया है कि “पश्चिम बंगाल की औद्योगिक इकाइयां अब किसी भी प्रोत्साहन, वित्तीय लाभ, राज्य समर्थन, सब्सिडी, ब्याज माफी, कर छूट, रिफंड, कर प्रोत्साहन, अग्रिम या किसी भी प्रकार की औद्योगिक प्रोत्साहन सहायता के लिए पिछले बकाया या दावे नहीं कर सकेंगी।”

राज्य के उद्योग मंत्री शशि पांजा और अन्य विभागीय अधिकारियों ने इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया। उद्योग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “कई कंपनियों ने बताया कि इस विधेयक के पारित होने के बाद उन्हें अपना व्यवसाय जारी रखने में कठिनाई हो रही है। सरकार ने उन्हें बताया कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए नई औद्योगिक नीति बना रही है। फिर भी, कुछ औद्योगिक समूहों ने अदालत का रुख किया।”

यह घटनाक्रम, जो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आया है। इस पर ममता समर्थक कहते हैं कि 2011 में तृणमूल कांग्रेस के साथ सिंगूर और नंदीग्राम में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलनों के दम पर सत्ता हासिल की थी। अब एक बार फिर उद्योगों के बजाय कल्याणकारी खर्च को प्राथमिकता दी है।

यह भी देखें: पटना हाईकोर्ट का सख्त आदेश, सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से हटाएं पीएम की मां का AI वीडियो

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