रायपुर। ‘महोदय विगत दो वर्षों की भाजपा सरकार में आपके बंगले में पहली बार आपके दर्शन के लिए समय ले कर आए परन्तु भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं की इस प्रकार की अपमानजनक स्थिति हमारे व समस्त समर्पित लोगों के लिए विचारणीय है।’
यह कथित अपमानजनक स्थिति प्रदेश के सबसे ताकतवर मंत्री की छवि वाले ओपी चौधरी के बंगले की बताई गई है और जो कथित रूप से अपमानित हुए हैं वे भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के नेता हैं।
पूरा मामला जानिए – ये दरअसल भाजपा के आम कार्यकर्ताओं की नहीं आरएसएस से जुड़े दिग्गज नेताओं की पीड़ा है जो एक चिट्ठी के जरिए सार्वजनिक मंच पर शेयर की गई और फिर तेजी से डिलीट भी कर दी गई लेकिन उससे पहले चिट्ठी का स्क्रीन शॉट लोगों ने सुरक्षित कर लिया।

अपनी पीड़ा जाहिर करने वाले नेताओं में पूर्व विधायक डॉ.विमल चोपड़ा और उनके साथ भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के कई चिकित्सक तथा आरएसएस, एबीवीपी के पदाधिकारी नेता शामिल हैं।
द लेंस के पास इस चिट्ठी और सोशल मीडिया पर शेयर की गई इस पीड़ा का स्क्रीन शॉट मौजूद है।
चिट्ठी के मुताबिक हुआ यूं कि डॉ.विमल चोपड़ा के साथ डॉ.अशोक त्रिपाठी, डॉ.अखिलेश दुबे, डॉ. कृष्णदास मानिकपुरी, डॉ.मनीष ठाकुर, डॉ.मनोज ठाकुर, डॉ. साहू आदि वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मिलने उनके बंगले पहुंचे थे। यह भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ का प्रतिनिधिमंडल था।
इन चिकित्सकों के मुताबिक वे श्री चौधरी के बंगले पर उनके पीए से समय ले कर पहुंचे थे। प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों ने ओपी चौधरी को ही संबोधित इस पत्र में लिखा कि वे लोग पिछले कई महीनों से डॉक्टरों की पर्यावरण से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए मिलने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उनसे अनेक बार फोन पर तथा प्रदेश भाजपा कार्यालय में उनसे ही (श्री चौधरी से) हुई चर्चा के बाद भी प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों को कोई जवाब नहीं मिला।
तब मंगलवार 16 सितंबर को चिकित्सा प्रकोष्ठ के ये प्रतिनिधि श्री चौधरी के बंगले पर उनके पीए से समय लेकर जा पहुंचे।
मंत्री के बंगले पर इस प्रतिनिधिमंडल को अत्यंत असुविधाजनक स्थिति का सामना करना पड़ा।गेट पर पहले सवाल–जवाब का सामना करना पड़ा और फिर पीए दुर्गेश से फोन पर बात करने के बाद इस प्रतिनिधिमंडल को मुश्किल से भीतर आने दिया गया।
बताते हैं कि इसके बाद करीब पौन घंटे के इंतजार के बाद भी प्रतिनिधिमंडल की वित्त मंत्री से मुलाकात नहीं हो पाई!
वित्त मंत्री को लिखी गई यह चिट्ठी बताती है कि पौन घंटे इंतजार करने के बाद भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ का यह प्रतिनिधिमंडल नाराजगी और निराशा के साथ उनके बंगले से लौट आया।
इन चिकित्सकों ने आते–आते एक चिट्ठी वित्त मंत्री के नाम पर छोड़ी जिसमें इस पूरे घटनाक्रम का जिक्र ही नहीं किया बल्कि यह भी लिखा – ‘हम लोग सार्वजनिक काम को लेकर आए थे परंतु आपके व्यवहार से हम निराश और हताश हुए।’
इस चिट्ठी पर डॉ. विमल चोपड़ा, डॉ. अशोक त्रिपाठी सहित अनेक चिकित्सकों के हस्ताक्षर हैं।

यह मामला सार्वजनिक ना होता यदि डॉ.विमल चोपड़ा ने डॉ. अशोक त्रिपाठी की सोशल मीडिया पर निराशा भरी एक पोस्ट में इस चिट्ठी को ही पोस्ट कर सार्वजनिक ना कर दिया होता।
डॉ.चोपड़ा द्वारा पोस्ट की गई इस चिट्ठी पर जब तक हल्ला मचता इसे डिलीट भी कर दिया गया। लेकिन तब तक कुछ लोगों ने चिट्ठी का स्क्रीन शॉट ले लिया था।
द लेंस ने इस मामले में वित्त मंत्री ओपी चौधरी से संपर्क किया तो उन्होंने इस पूरे मामले में अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि उन्हें कोई चिट्ठी नहीं मिली है।
हमने डॉ.विमल चोपड़ा से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
डॉ. अशोक त्रिपाठी ने द लेंस से फोन पर कहा कि उन्हें नहीं पता कि किस चिट्ठी की बात हो रही है।लेकिन जब उन्हें डॉ.विमल चोपड़ा द्वारा पोस्ट की गई चिट्ठी और खुद उनकी पोस्ट की जानकारी दी गई तो उन्होंने कहा कि वे एक गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं।उन्हें ऐसे किसी मामले में क्यों परेशान किया जा रहा है?अलबत्ता अपनी पोस्ट को लेकर उन्होंने इस संवाददाता से यह जरूर कहा कि आप ही सोचिए कि जो लिखा है वो सही है या नहीं ?
अब ये जानिए कि डॉ.अखिलेश त्रिपाठी ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर क्या लिखा – ‘अगर नेता जी पीए, ओएसडी के घेरे से घिरे रहकर जनता और अपने ही दल के कार्यकर्ता से दूरी बना लेंगे तो राजनीतिक दल का भविष्य कैसा होगा ?’
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