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छत्तीसगढ़

वार्ता के लिए हथियार छोड़ने काे तैयार हुए नक्सली, एक महीने का मांगा समय

दानिश अनवर
Last updated: September 17, 2025 12:20 am
दानिश अनवर
Byदानिश अनवर
Journalist
दानिश अनवर, द लेंस में जर्नलिस्‍ट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 13 वर्षों का अनुभव है। 2022 से दैनिक भास्‍कर...
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Pease Talks
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रायपुर। फोर्स के एंटी नक्सल ऑपरेशन तेज करने के बीच नक्सलियों ने एक बार फिर से शांति वार्ता (Peace Talks) की अपील की है। इस बार माओवादी पार्टी के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने एक प्रेस नोट जारी कर बताया है कि उनका संगठन शांति वार्ता के लिए अस्थाई तौर हथियार छोड़ने को तैयार हैं। इसके लिए नक्सलियों ने एक महीने का समय मांगा है।

खबर में खास
बसवराजू ने शुरू की थी प्रक्रियाफोर्स करे सीजफायर, खोजी अभियान रोकने की मांग

हालांकि यह पत्र 15 अगस्त का है और इसको जारी किए एक महीने का वक्त निकल गया है। इसकी विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। भले ही यह एक महीने पुराना है, लेकिन नक्सलियों की तरफ से अब तक इस पत्र का किसी भी तरह का खंडन नहीं आया है, इसलिए इसे सही माना जा रहा है।

नक्सलियों की तरफ से शांति वार्ता के लिए हथियार छोड़ने को तैयार होने के फैसले को सरकार और फोर्स की बड़ी जीत मानी जा रही है। इससे पहले जब भी शांति वार्ता की बात कही गई है तो केंद्र और राज्य सरकारों के साथ ही विपक्षी पार्टियों ने यह स्पष्ट किया है कि हथियार और हिंसा के साथ किसी भी तरह की वार्ता नहीं होगी।

बता दें कि लगातार ऑपरेशन की वजह से नक्सली बैकफुट पर हैं। हाल ही में नक्सलियों को फोर्स के खिलाफ कई मोर्चों पर हार मिली है। गरियाबंद के मैनपुर के जंगलों में 10 माओवादियों को मुठभेड़ में ढेर करने के बाद सेंटर कमेटी की सदस्य सुजाता का सरेंडर माओवादी पार्टी के लिए झटका माना गया है।

लगातार झटकों के बाद माओवादी पार्टी का यह प्रेस नोट सामने आया है।

भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (माओवादी) की तरफ से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि वे हथियारबंद संघर्ष को अस्थाई रूप से त्याग कर भारत की उत्पीड़ित जनता के समस्याओं का निराकरण के लिए जन संघर्षों में हिस्सा लेने को तैयार हैं।

माओवादी पार्टी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि नक्सली हथियार छोड़कर बातचीत के लिए तैयार हुए हैं।

बसवराजू ने शुरू की थी प्रक्रिया

इस प्रेस नोट में माओवादियों की तरफ से यह भी कहा गया है कि शांति वार्ता का विचार पार्टी के महासचिव बसवराजू की ही थी। शांति वार्ता की प्रक्रिया पार्टी के महासचिव बसवराजू ने ही शुरू की थी। उनकी इस प्रक्रिया को बीच में न छोड़कर उनके विचारों के अनुरूप में शांति वार्ता को आगे बढ़ाने का निर्णय लेते हुए यह प्रेस नोट जारी कर रहे हैं।

इस प्रेस नोट में माओवादी संगठन ने भारत के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, माओवादी आंदोलन से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री, शांति वार्ता के प्रति अनुकूल रवैया अपनाने वाले सत्ता और तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं, शांति कमेटी के साथियों, पत्रकारों और जनता के सामने बदली हुई हमारी पार्टी के बदले रूख को स्पष्ट कर रहे हैं।

माओवादी पार्टी के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने कहा, ‘प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से लेकर वरिष्ठ पुलिस अफसरों तक हमें हथियार छोड़कर, मुख्यधारा में शामिल होने के लिए किए जा रहे अनुरोधों के मद्देनजर हमने हथियार छोड़ने का निर्णय लिया है।’

आगे उन्होंने साफ लिखा, ‘हथियार बंद संघर्ष को अस्थाई रूप से विराम घोषित करने का निर्णया लिए हैं। हम यह स्प्ष्ट कर रहे हैं कि भविष्य में हम जन समस्याओं पर तमाम राजनीतिक पार्टियों एवं संघर्षरथ संस्थाओं से जहां तक संभव हो, कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करेंगे।’

फोर्स करे सीजफायर, खोजी अभियान रोकने की मांग

प्रेस नोट में लिखा कि इस विषय पर केंद्र के गृहमंत्री या उनसे नियुक्त व्यक्तियों से अथवा प्रतिनिधि मंडल से वार्ता के लिए हम तैयार हैं, लेकिन हमारी इस बदले हुए विचार से पार्टी को अवगत कराना पड़ेगा। यह हमारा दायित्व है। बाद में पार्टी के अंदर इस पर सहमति जताने वाले या विरोध करने वाले स्पष्ट होकर, सहमति जताने वाले साथियों से एक प्रतिनिधि मंडल तैयार कर शांति वार्ता में शिरकत करेंगे।

अभय ने लिखा, ‘वर्तमान में हमारे संपर्क में रहे सीमित कैडर और कुछ नेतृत्वकारी साथी इस नए रुख पर अपनी पूरी सहमति जता रहे हैं। इसलिए केंद्र सरकार से हमारा अनुरोध है कि देशभर के अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे और जेल में बंद साथियों से सलाह मशविरा करने के लिए हमें एक माह का समय दिया जाए।’

आगे अभय ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए लिखा, ‘इस विषय पर प्राथमिक रूप से सरकार के साथ वीडियो कॉल के जरिए विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए भी हम तैयार हैं। इसलिए एक और बार हम स्पष्ट कर रहें हैं कि फौरन एक माह समय के लिए औपचारिक रूप से सीजफायर की घोषणा करें। खोजी अभियानों को रुकवाकर शांति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना व खून से बह रहे जंगलों को शांति वनों में तब्दील करना आपके रुख पर ही निर्भर है।’

इस प्रेस नोट के जरिए पार्टी की केंद्रीय कमेटी ने दूसरे इलाकों के साथियों से भी अपील की है कि समय सीमा के बाद भी उनके विचार वार्ता प्रक्रिया के दौरान भेज सकते हैं। जेल में बंद नक्सलियों से कहा है कि जेल अफसरों से अनुमति से अपने विचार हम तक पहुंचाएं।

यह भी पढ़ें : नक्सलियों को एक और बड़ा झटका, सीसी सदस्य सुजाता ने किया आत्मसमर्पण

TAGGED:ANTI NAXAL OPERATIONBig_NewsChhattisgarhPeace Talks
Byदानिश अनवर
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दानिश अनवर, द लेंस में जर्नलिस्‍ट के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्हें पत्रकारिता में करीब 13 वर्षों का अनुभव है। 2022 से दैनिक भास्‍कर में इन्‍वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग टीम में सीनियर रिपोर्टर के तौर पर काम किया है। इस दौरान स्‍पेशल इन्‍वेस्टिगेशन खबरें लिखीं। दैनिक भास्‍कर से पहले नवभारत, नईदुनिया, पत्रिका अखबार में 10 साल काम किया। इन सभी अखबारों में दानिश अनवर ने विभिन्न विषयों जैसे- क्राइम, पॉलिटिकल, एजुकेशन, स्‍पोर्ट्स, कल्‍चरल और स्‍पेशल इन्‍वेस्टिगेशन स्‍टोरीज कवर की हैं। दानिश को प्रिंट का अच्‍छा अनुभव है। वह सेंट्रल इंडिया के कई शहरों में काम कर चुके हैं।
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