आवेश तिवारी। नई दिल्ली
आज से ठीक एक सप्ताह पहले जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी की मौजूदगी में दिल्ली में बिहार चुनाव को लेकर बैठक हो रही थी तो उसमें पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी मौजूद थे। उक्त बैठक में पप्पू यादव ने राहुल गांधी से कहा कि हम 80 फीसदी सीट जीता सकते हैं लेकिन मेरी कुछ शर्ते हैं।
जिस वक्त पप्पू यह बात कह रहे थे सभी खामोश थे। ठीक एक सप्ताह बाद पूर्णिया में पीएम नरेंद्र मोदी की जनसभा में पप्पू यादव उनसे कानाफूसी करते दिखे। यह चौंकाने वाला था, जिसकी चर्चा जोरों पर है।
पीएम के मंच से करीब 20 सेकेंड का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव पीछे से पीएम मोदी के पास जाकर उनके कान में कुछ कहते नजर आए। उनकी बात सुनकर प्रधानमंत्री जोर से ठहाका लगाते हैं।
अगले ही मिनट में जब पीएम मोदी को मखाना की माला पहनाने का अनाउंसमेंट हुआ, तो पप्पू यादव एक बार फिर से पीएम के पीछे आकर खड़े हो गए और उनसे कुछ बात करने लगे। पीएम मोदी के साथ पप्पू यादव की इस बातचीत से तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
हालांकि पप्पू यादव ने साफ कह दिया है कि क्षेत्र के विकास के मुद्दे पर वो पीएम मोदी के साथ हैं लेकिन विचाराधारा के मुद्दे पर उन्हें बीजेपी से कोई मतलब नहीं है। यह बात सर्वविदित है कि लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले पीएम मोदी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से बात की थी और उनसे पूर्णिया से लड़ने की गुजारिश की थी।
नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस की सदस्यता लेने के बावजूद पप्पू यादव को न तो कांग्रेस से टिकट मिला न राजद से और तो और तेजस्वी ने उनके चुनाव क्षेत्र में कैंप लगाकर उनके खिलाफ जमकर चुनाव प्रचार किया। चुनाव जीतने के बाद पप्पू यादव ने प्रशांत किशोर से भी हाथ मिलाया और उपचुनाव मिलकर लड़ने की बात कही लेकिन किसी स्तर पर बात बिगड़ गई।
हाल ही में खत्म हुई वोटर्स अधिकार यात्रा में पप्पू यादव को कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब उन्हें राहुल गांधी के रथ पर नहीं बैठने दिया गया। पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद हैं। वो पप्पू यादव से अपनी नाराजगी खुला जाहिर कर चुकी हैं।
कांग्रेस आलाकमान भी पप्पू यादव के साथ तो खड़ा है लेकिन उन्हें टिकट वितरण में कोई भूमिका नहीं देना चाहता। बिहार कांग्रेस के तमाम दिग्गज भी पप्पू यादव से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं। हाल के दिनों में पप्पू यादव द्वारा अधिकारियों को धमकी दिए जाने के वीडियो वायरल होने के बाद वैसे भी उनकी स्थिति कमजोर हुई है। ऐसे में अगर पप्पू यादव पीएम मोदी से कानाफूसी करते हैं तो सियासी शोर मचना स्वाभाविक है
जैसी की जानकारी मिली है वह पीएम मोदी से मिलने का समय मांग रहे थे। वहीं, पीएम मोदी भी उन्हें आश्वस्त करते दिखे। इसके कुछ देर बात वो मंच से चले गए। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पप्पू यादव राजनीतिक तौर पर स्थिरता चाहते हैं।
इस बात की संभावना कम है कि वो बीजेपी से प्रत्यक्ष तौर पर कोई नजदीकी तय करेंगे लेकिन विधानसभा चुनाव में खुद को लाइमलाइट में लाने के लिए खुद नए राजनीतिक निर्णय लेते हैं तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए।
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